[झूठा घोषणा पत्र] सुप्रीम कोर्ट ने उसे गुमराह करने के लिए गोरखपुर की सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

26 Sep 2020 5:59 AM GMT

  • [झूठा घोषणा पत्र] सुप्रीम कोर्ट ने उसे गुमराह करने के लिए गोरखपुर की सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया

    न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने मनीषा वास्कले को नोटिस जारी करके उससे पूछा है कि "इस कोर्ट को गुमराह करने और परिणामस्वरूप दो सितम्बर 2019 को बेंच से अंतरिम आदेश हासिल कर लेने के लिए उनके खिलाफ क्यों नहीं कोई उचित कार्रवाई शुरू की जाये?"

    गौरतलब है कि प्रतिवादियों के लिए पेश हो रहे वकीलों ने कहा कि पेज-एन पर पूर्व की विशेष अनुमति याचिका (सिविल) डायरी नंबर 42226/2018 के मामले में 10 दिसम्बर 2018 को दिये गये कथित आदेश का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष समीक्षा याचिका दायर करने की छूट के साथ 10 दिसम्बर 2018 को अपनी याचिकाएं वापस ले ली थी।

    कोर्ट के आदेश की एक प्रति पेज संख्या 174 पर संलग्नक पी-9 के तौर पर सम्बद्ध है। जब कोर्ट ने पेज संख्या 174 पर ध्यान दिया तो पता चलता है कि इस तरह की कोई छूट मंजूर नहीं की गयी थी।

    उससे इतर, कोर्ट ने यह भी कहा कि पृष्ठ संख्या 7 पर, नियम 3(2) के तहत जारी घोषणा पत्र में हाईकोर्ट द्वारा चार जनवरी 2018 को जारी अंतिम फैसले और बाद में उसकी समीक्षा के तहत जारी आदेश का उल्लेख किया गया था और यह कहा गया था कि पूर्व के आदेश के खिलाफ कोई विशेष अनुमति याचिका दायर नहीं की गयी थी।

    इसलिए कोर्ट ने प्रथमदृष्ट्या पाया कि ये दोनों घोषणाएं झूठी थीं और मध्य प्रदेश में गोरखपुर की सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट सुश्री मनीषा वास्कले द्वारा की गयी थीं।

    इस परिप्रेक्ष्य में कोर्ट ने कहा,

    "इस प्रकार के बयान इस अदालत के समक्ष झूठी घोषणाओं की श्रेणी में आते हैं। इसलिए हम आगे कोई और स्थगन देने से इनकार करते हैं और सुश्री मनीषा वास्कले को नोटिस जारी करने का निर्देश देते हैं कि इस अदालत को गुमराह करने और उसके आधार पर शुरू में ही बेंच से अंतरिम आदेश हासिल करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू की जाये?"

    इस प्रकार कोर्ट ने उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में पाया कि दो सितम्बर 2019 के अंतरिम आदेश को समाप्त करने का पर्याप्त आधार मौजूद है।

    कोर्ट ने आगे घोषणा की कि ऊपर उल्लेखित 2019 की विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 21596-21597 में पारित आदेश समान रूप से इस मामले में लागू होगा क्योंकि तथ्य समान हैं।

    तदनुसार अंतरिम आदेश रद्द किया जाता है।

    मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच अक्टूबर 2020 की तारीख मुकर्रर की गयी है।

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