EVM और VVPAT की शिकायत को लेकर प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, चुनाव आयोग को नोटिस जारी
Live Law Hindi
29 April 2019 3:49 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा है जिसमें EVM और VVPAT के बीच विसंगति की शिकायत को गलत पाए जाने पर शिकायतकर्ता पर कानूनी कार्रवाई के प्रावधान को चुनौती दी गई है।
चुनाव आयोग को भेजा गया नोटिस
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की 3 जजों की पीठ ने याचिकाकर्ता सुनील अहिया की याचिका पर सोमवार को ये नोटिस जारी किया है।
विसंगति के बारे में शिकायत को लेकर मौजूदा प्रावधान
दरअसल वर्तमान में चुनाव संचालन नियम, 1961 की के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी विसंगति के बारे में शिकायत दर्ज करता है (उसने किसी विशेष पार्टी के लिए मतदान किया है लेकिन वोट किसी अन्य पार्टी में चला गया है) और यदि आरोप वह गलत पाया जाता है तो उस पर आईपीसी की धारा 177 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है। इस धारा के तहत उसे 6 महीने की जेल या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता सुनील अहिया ने यह दलील दी है कि कानून में इस तरह का प्रावधान एक मतदाता को EVM और VVPAT के विसंगति वाले व्यवहार की शिकायत करने से रोकता है। साथ ही यह चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए निरंतर अभ्यास में एक आवश्यक घटक है।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि ऐसी शिकायत करना किसी भी मतदाता का संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार है और यह प्रावधान इस अधिकार का हनन करता है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 49 एमए को रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि हाल ही में एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा था कि वो VVPAT में विसंगति की शिकायत करना चाहते थे, लेकिन शिकायत सही नहीं पाए जाने पर जेल या भारी जुर्माने के प्रावधान के चलते वे शिकायत करने का साहस नहीं कर पाए।
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