प्रत्येक जिले में केंद्रीय विद्यालय सुनिश्चित करना, पाठ्यक्रम तय करना नीति निर्णय, न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश पढ़ें

LiveLaw News Network

13 Oct 2019 1:27 PM IST

  • प्रत्येक जिले में केंद्रीय विद्यालय सुनिश्चित करना, पाठ्यक्रम तय करना नीति निर्णय, न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता: दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश पढ़ें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि प्रत्येक तालुका में कम से कम एक केंद्रीय विद्यालय सुनिश्चित करना और सभी स्कूलों के लिए समान पाठ्यक्रम एक नीतिगत निर्णय है, जिसके बारे में सरकार द्वारा निर्णय लिया जाना चाहिए न कि न्यायालय द्वारा।

    भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई याचिका में अदालत से निम्नलिखित निर्देश मांगे गए थे-

    1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार को निर्देशित करें कि वह पूरे भारत में हर तहसील, तालुका, उप-मंडल, सर्कल और वट्टम या प्रत्येक राज्य विधान सभा क्षेत्र में कम से कम एक सेंट्रल स्कूल (केन्द्रीय विद्यालय) स्थापित करने की व्यवहार्यता का पता लगाए।

    2-मानव संसाधन विकास मंत्रालय को निर्देश दिया जाएं कि वह एक मानक पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराए, जिसमें समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, एकता और राष्ट्र की अखंडता, मौलिक अधिकारों, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों, मौलिक कर्तव्यों और संविधान की बुनियादी संरचना आदि पर एक-एक अध्याय हो। वहीं भारत के पूरे क्षेत्र में पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी छात्रों के लिए इसका अध्ययन अनिवार्य किया जाए।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि प्रत्येक तहसील में कम से कम एक केंद्रीय विद्यालय सुनिश्चित करना संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत प्रत्येक बच्चे के शिक्षा के मौलिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

    इसके अलावा, याचिका में कहा गया था कि सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने का कारण राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के तहत भी पढ़ा जा सकता है, क्योंकि अनुच्छेद 38 (2) कहता है कि राज्य आय में असमानताओं को कम करने और स्थिति या स्टेटस, सुविधाओं और अवसरों की असमनाताओं को खत्म करने का प्रयास करेगा।

    हाईकोर्ट का फैसला

    रिट याचिका को निपटाने के दौरान, हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सरकार पूरे भारत में स्कूली बच्चों के लिए सामान्य पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम चाहती है, जो पहले से शामिल नहीं है तो सरकार समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, एकता और राष्ट्र की अखंडता, मौलिक अधिकारों, राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों, मौलिक कर्तव्यों और संविधान की मूल संरचना पर आधारित अध्यायों को शामिल करने के लिए स्वतंत्र है।

    आदेश की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें


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