ट्रेड या कॉमर्स में 'वाकई इस्तेमाल' हुई अचल सम्पत्ति का विवाद ही 'कॉमर्शियल डिस्प्यूट' : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

7 Oct 2019 9:47 AM IST

  • ट्रेड या कॉमर्स में वाकई इस्तेमाल हुई अचल सम्पत्ति का विवाद ही कॉमर्शियल डिस्प्यूट : सुप्रीम कोर्ट

    "'कारोबार या वाणिज्य में खासतौर पर इस्तेमाल' शब्द का अर्थ है, 'वाकई इस्तेमाल हुआ' और इसे 'इस्तेमाल के लिए तैयार' या 'इस्तेमाल होने के लिए संभावित'अथवा 'इस्तेमाल होने वाला'नहीं कहा जा सकता। यह 'एक्चुअली यूज्ड'होना चाहिए।"

    सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि वाणिज्यिक अदालत कानून की धारा 2(एक)(सी)(सात) के दायरे में आने के लिए अचल सम्पत्ति को कारोबार या वाणिज्य में 'विशेष तौर पर इस्तेमाल'किया गया हो या 'विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा'हो।

    न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 'कारोबार या वाणिज्य में खासतौर पर इस्तेमाल'शब्द का अर्थ है, 'वाकई इस्तेमाल हुआ' और इसे 'इस्तेमाल के लिए तैयार'या 'इस्तेमाल होने के लिए संभावित'अथवा 'इस्तेमाल होने वाला'नहीं कहा जा सकता।

    'अम्बालाल साराभाई एंटरप्राइजिज लिमिटेड बनाम के. एस. इंफ्रास्पेश एलएलपी'मामले में इस बात को लेकर विचार किया गया था कि क्या मुकदमे में शामिल दोनों पक्षों के बीच किया गया लेनदेन 'वाणिज्यिक विवाद'की श्रेणी में आयेगा, ताकि संबंधित मुकदमे की सुनवाई कॉमर्शियल कोर्ट कर सके। इस कानून की धारा- 2(एक)(सात) के अंतर्गत 'कॉमर्शियल डिस्प्यूट'के तहत वैसे विवाद आते हैं, जो कारोबार या वाणिज्य में विशेष तौर पर इस्तेमाल हुई अचल सम्पत्ति से संबंधित समझौते से जुड़ा हो।

    अपीलकर्ता के अनुसार, जिस जमीन को अधिग्रहीत की गयी थी, उसको बाद में खरीदकर विकसित किया गया था और अब उसका इस्तेमाल कारोबार और वाणिज्य के लिए किया जाता है। दूसरी ओर, प्रतिवादी ने दलील दी थी कि लेनदेन के दिन जमीन का इस्तेमाल कारोबार या वाणिज्य के लिए नहीं किया जा रहा था तथा फिलहाल संबंधित मुकदमा कॉमर्शियल कोर्ट के समक्ष स्वीकार्य नहीं होगा।

    पीठ ने 'वासु हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड बनाम गुजरात आकृति टीसीजी बायोटेक लिमिटेड, 2017' के मामले में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति जताते हुए कहा कि कॉमर्शियल कोर्ट अधिनियम, 2015 की धारा दो(एक)(सी) की व्याख्या से पता चलता है कि 'यूज्ड'शब्द का अर्थ 'एक्यचुअली यूज्ड'या 'बिइंग यूज्ड'है। यदि विधायिका का इरादा इसका दायरा बढ़ाना होता तो ऐसी स्थिति में इसे 'लाइकली टू बी यूज्ड'या 'टू बी यूज्ड'लिखा जाता।

    न्यायमूर्ति बोपन्ना ने पीठ की ओर से कहा :-

    "हमारा मानना है कि यदि कॉमर्शियल कोर्ट के समक्ष दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई की जाये तो कॉमर्शियल कोर्ट अधिनियम, 2015 का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यही कारण है कि वैसे मुकदमे जो वास्तव में कॉमर्शियल विवाद नहीं हैं, लेकिन केवल अधिक राशि के होने तथा त्वरित निस्तारण के इरादे से कॉमर्शियल कोर्ट के समक्ष दायर किये जाते हैं तो पूरा तंत्र अवरुद्ध हो जायेगा और उन असली कॉमर्शियल विवादों के रास्ते में अड़चनें पैदा होंगी, जिनके निपटारे के उद्देश्य से कानूननिर्माताओं ने संबंधित कानून बनाया था।

    परिभाषा के अनुसार, कॉमर्शियल विवाद के तहत कॉमर्शियल कोर्ट विशेष श्रेणी के मुकदमे का सख्त प्रक्रिया के अंतर्गत अपने अधिकार क्षेत्र में निपटाता है। यदि इसकी सख्ती से व्याख्या की जाती है तो ऐसा नहीं है कि इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के बाहर रह गये विवादों का कोई निदान नहीं होगा। छूट गये ऐसे मुकदमे सामान्य दीवानी अदालतों में सुने जायेंगे, जहां निदान हमेशा मौजूद रहते हैं।"

    वादपत्र लौटाने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायालय ने कहा कि इस मुकदमे में गिरवी विलेख (मॉर्टगेज डीड) के निष्पादन के लिए राहत मांगी गयी थी, जो सहमति ज्ञापन (एमओयू) की शर्तों के निष्पादन की प्रकृति का है, न कि मुकदमे की तारीख के अनुसार कारोबार या वाणिज्य में इस्तेमाल हुई अचल सम्पत्ति से संबंधित।

    सहमति वाले अपने आदेश में न्यायमूर्ति भानुमति ने कहा :-

    "अचल सम्पत्ति से जुड़ा विवाद स्वत: कॉमर्शियल विवाद नहीं हो सकता, लेकिन यदि यह संबंधित कानून की धारा दो(एक)(सी) के उपबंध (सात) के तहत आता है तब यह कॉमर्शियल विवाद की श्रेणी में आयेगा। यह उपबंध अचल सम्पत्ति के उस समझौते से जुड़ा है जिसका विशेष तौर पर इस्तेमाल कारोबार अथवा वाणिज्य में होता है। 'यूज्ड एक्सक्लूसिवली इन ट्रेड ऑर कॉमर्स'शब्दों की व्याख्या व्यापक तौर पर की जानी चाहिए।

    'कारोबार या वाणिज्य में खासतौर पर इस्तेमाल'शब्द का अर्थ है, 'वाकई इस्तेमाल हुआ'और इसे 'इस्तेमाल के लिए तैयार'या 'इस्तेमाल होने के लिए संभावित'अथवा 'इस्तेमाल होने वाला'नहीं कहा जा सकता। यह 'एक्चुअली यूज्ड'होना चाहिए। इस प्रकार की व्याख्या से अधिनियम के उद्देश्य एवं मामलों के त्वरित निपटारे की प्रक्रिया प्रभावित होगी।"



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