दिल्ली हिंसा : दंगा प्रभावित क्षेत्रों के वीडियो फुटेज संरक्षित रखने की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
16 March 2020 12:12 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली दंगों में प्रभावित क्षेत्रों के वीडियो फुटेज के संरक्षण की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरि शंकर की डिवीजन बेंच ने इस याचिका पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए हैं।
जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर इस याचिका में साक्ष्य एकत्र करने के लिए बिना मलबे को हटाए, 23 फरवरी से 1 मार्च तक दंगों से प्रभावित क्षेत्रों के सभी वीडियो फुटेज के संरक्षण की मांग की गई है।
मामले की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत से एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने का आग्रह किया है, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश करें। याचिकाकर्ता ने यह मांग की है कि दिल्ली पुलिस के सदस्यों को इस एसआईटी से बाहर रखा जाए।
याचिका में एसआईटी के अलाव दंगों की योजना, तैयारी और कारण के सभी पहलुओं की जांच के लिए एक अलग और 'विशेष रूप से सशक्त जांच टीम के गठन की भी मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि जांच में राज्य मशीनरी द्वारा सहायता करने के पहलुओं पर गौर किया जाना चाहिए। दंगों से प्रभावित क्षेत्रों में काम करने वाले सभी सामाजिक-राजनीतिक संगठन और सभी राजनेता जो दंगों से पहले और दंगों के दौरान सार्वजनिक रूप से उन क्षेत्रों में सक्रिय थे, उनकी जांच होनी चाहिए ।
हिंसा में कुछ पुलिस अधिकारियों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए, याचिकाकर्ता ने अदालत से उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया है, जो जानबूझकर निष्क्रियता या दंगों में भागीदारी के लिए उत्तरदायी पाए जाते हैं।
पुनर्वास उपाय के रूप में, याचिकाकर्ता ने एक योजना के अनुसार सभी दंगा पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने के लिए कहा है, जो कि 1984 के दंगों के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने वाली योजना के समान है।
याचिकाकर्ता ने अन्य बातों के साथ कानून में बदलाव की भी मांग की है। इसने 267 वें विधि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय दंड संहिता में दो नए खंड जोड़ने के लिए कहा है:
धारा 153 सी - घृणा को निषेध करना
धारा 505A - कुछ मामलों में भय या हिंसा भड़काना
इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी।