दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों का पालन करने को कहा

LiveLaw News Network

29 Nov 2021 6:55 AM GMT

  • दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों का पालन करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब राज्यों की सरकारों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Air Quality Management Commission) द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन को दर्शाने वाले हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा कि यदि किसी निर्देश का पालन अभी तक नहीं किया गया है, तो राज्यों को उनका तुरंत पालन करना होगा।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की मांग करने वाले मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बुधवार शाम तक हलफनामे प्रस्तुत किए जाएं।

    बेंच इस मामले पर अगले गुरुवार, 2 दिसंबर को विचार करेगी।

    पीठ ने राज्यों को यह भी निर्देश दिया कि वे 24 नवंबर को न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन करते हुए निर्माण श्रमिकों को कल्याण निधि वितरित करें, जिनकी आजीविका निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के कारण प्रभावित होती है।

    भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सोमवार को पीठ को आयोग द्वारा एनसीआर राज्यों को प्रदूषण कम करने के लिए दिए गए विभिन्न निर्देशों के बारे में बताया।

    सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्तुत किया कि कुछ निर्देशों का पालन किया गया है, लेकिन कुछ अन्य निर्देशों के अनुपालन के संबंध में जानकारी का अभाव है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की,

    "हम प्रत्येक राज्य से जवाब चाहते हैं कि उन्होंने किन निर्देशों को लागू किया है। अन्यथा हमें एक स्वतंत्र टास्क फोर्स गठित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। कार्यान्वयन करना होगा। यदि वे लागू नहीं करेंगे, तो टास्क फोर्स गठित करना ही एकमात्र तरीका है।"

    याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने प्रस्तुत किया कि कोर्ट द्वारा लगाए गए निर्माण प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम चल रहा है।

    कोर्ट ने इस पहलू पर भी सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा है।

    सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता संकट को ध्यान में रखते हुए अगले आदेश तक दिल्ली-एनसीआर में निर्माण गतिविधियों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया था।

    दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पहले हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार को ध्यान में रखते हुए 22 नवंबर से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया था।

    कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली-एनसीआर राज्यों और आयोग को स्थिति से निपटने के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया था।

    कोर्ट ने कहा था कि आयोग की ग्रेडेड रिस्पांस योजना में वायु गुणवत्ता में गिरावट के बाद वास्तव में दर्ज की गई कार्रवाई करने की परिकल्पना की गई है। वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर तक गिरने की प्रतीक्षा करने के बजाय आयोग को मौसम की स्थिति को देखते हुए अग्रिम कदम उठाने चाहिए।

    पीठ ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण संकट से निपटने के लिए पिछले साल बनाए गए एक वैधानिक निकाय "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग" को वैज्ञानिक डेटा और सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर अग्रिम उपाय करने चाहिए।

    कोर्ट ने कहा था कि हम निर्देश देते हैं कि ग्रेडेड रिस्पांस प्लान के तहत कार्रवाई शुरू करने से पहले हवा की गुणवत्ता के बिगड़ने की प्रतीक्षा करने के बजाय वायु गुणवत्ता के बिगड़ने की आशंका में आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए। इस उद्देश्य के लिए आयोग को मौसम संबंधी डेटा और सांख्यिकीय मॉडलिंग में डोमेन ज्ञान रखने वाली विशेषज्ञ एजेंसियां को संलग्न करना आवश्यक है।

    कोर्ट ने कहा कि आयोग को वायु प्रदूषण के रिकॉर्ड किए गए स्तरों पर पिछले वर्षों के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर वायु गुणवत्ता का वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिए। अध्ययन को मौसमी विविधताओं और अन्य प्रासंगिक मापदंडों पर ध्यान देना चाहिए।

    कोर्ट ने रिट याचिका आदित्य दुबे (माइनर) एंड अन्य बनाम भारत संघ में आदेश पारित किया, जिसे दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हुए दायर किया गया है।

    नवंबर के दूसरे सप्ताह में मामले को उठाते हुए जब दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गंभीर ग्रेड तक गिर गई थी, कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनसीआर को आपातकालीन उपाय करने के लिए कहा था।

    खंडपीठ ने कहा था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण उद्योग, बिजली, वाहन यातायात और निर्माण हैं, न कि पराली जलाना।

    केस का शीर्षक: आदित्य दुबे (नाबालिग) एंड अन्य बनाम भारत संघ एंड अन्य

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