दिल्ली में प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने अवैध जैव-चिकित्सा अपशिष्ट जलाने के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

18 Feb 2020 8:00 AM GMT

  • दिल्ली में प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने अवैध जैव-चिकित्सा अपशिष्ट जलाने के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिण दिल्ली में अवैध और अनधिकृत जैव-चिकित्सा अपशिष्ट जलाने के संबंध में नोटिस जारी किया है, जिसके परिणामस्वरूप आस-पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है और साथ ही साथ शहर में हवा की गुणवत्ता में भी गिरावट बढ़ रही है।।

    दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित CLC में कानून की तीसरे साल की छात्रा हर्षिता सिंघल द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन पर ये नोटिस जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि ये कार्य अदालत के एम सी मेहता बनाम भारत संघ [डब्ल्यू.पी. (सिविल) 13029 ( 1985) ] मामले में दिनांक 04.11.2019 के आदेश का उल्लंघन है।

    दरअसल 4 नवंबर 2019 के आदेश में शहर की नगरपालिका सीमा के भीतर कूड़ा और ठोस कचरे को खुले में जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। कूड़े और कचरे की खुली डंपिंग के संबंध में, आदेश में कहा गया है कि दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और साथ ही नगर निगम को "तत्काल योजना तैयार करने और कचरे को हटाने के लिए सुनिश्चित करने के लिए" निर्देशित किया गया था और सुरक्षित रूप से आगे भी सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि कोई खुली डंपिंग न हो। "

    छात्रा ने अपने आवेदन में 31 अक्टूबर 2019 को शहर के बीचोंबीच भूमि के बड़े पथ पर जैव-चिकित्सा अपशिष्ट जलाने का दावा किया है। उसी की पुष्टि के लिए, उसके

    सहयोगियों ने 23 नवंबर 2019 को एक निरीक्षण किया और 4 नवंबर के आदेश के सीधे उल्लंघन में, गतिविधियों की उपस्थिति की पुष्टि की। आवेदन में इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि रंगपुरी पहाड़ी में अवैध रूप से जलने वाले स्थल की निकटता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए आने वाले विमानों के लिए दृश्यता में कमी के कारण जोखिम पैदा करती है।

    पिछले हफ्ते, हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अरोड़ा ने कोर्ट को सूचित कर मांग की कि सार्वजनिक क्षेत्रों में कूड़े और कचरे को अंधाधुंध जलाना सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ है और

    अपनी बात को साबित करने के लिए तस्वीरें उपलब्ध कराईं।

    उसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और 26.02.2020 तक जवाब, यदि कोई हो, तो दाखिल करने का निर्देश दिया।

    यह मामला अब 28.02.2020 को सूचीबद्ध किया गया है।

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