दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम की एम्स के प्रायवेट वार्ड में इलाज करवाने का अनुरोध अस्वीकार किया

LiveLaw News Network

1 Nov 2019 10:19 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम की एम्स के प्रायवेट वार्ड में इलाज करवाने का अनुरोध अस्वीकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि पी चिदंबरम को एम्स में स्टरलाइज़्ड (जीवाणुरहित) निजी वार्ड में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने आगे तिहाड़ अधीक्षक को चिदंबरम के लिए साफ और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए।

    पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री इस समय INX मीडिया मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ईडी द्वारा दर्ज मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट, दिल्ली द्वारा उनकी न्यायिक हिरासत 13 नवंबर तक बढ़ा दी गई थी।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष मेडिकल रिपोर्ट पेश की और कहा कि चिदंबरम की आज सुबह मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की गई।

    न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि चिदंबरम के आसपास का परिवेश साफ और स्वच्छ हो, उन्हें घर का बना खाना और साफ मिनरल वाटर उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने मच्छरदानी और मास्क भी आवेदक को मुहैया कराने के निर्देश दिए। अदालत ने उनके रक्तचाप और साप्ताहिक ओपीडी चेक अप की नियमित निगरानी का भी निर्देश दिया।

    एम्स में गठित बोर्ड के एक प्रतिनिधि डॉक्टर ने अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश की, जिसमें चिदंबरम के निजी वार्ड में प्रवेश पर राय का उल्लेख किया गया था।

    बोर्ड ने रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान मामले में निजी वार्ड में प्रवेश की आवश्यकता नहीं है। चिदंबरम को साफ और स्वच्छ वातावरण, मच्छरों से सुरक्षा, स्वच्छ मिनरल जल और घर का पका हुआ भोजन चाहिए। इसके अलावा, उन्हें मास्क दिया जाना चाहिए और उनके कमरे को दिन में दो बार साफ किया जाना चाहिए।

    बोर्ड ने चिदंबरम के साप्ताहिक रक्त परीक्षण, ओपीडी के दौरे और स्टेरॉयड के मौखिक सेवन की भी सलाह दी थी।

    बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए स्टरलाइज़्ड निजी वार्ड की सिफारिश की जाती है और आवेदक की स्थिति उसी के लिए योग्य नहीं होती है। आवेदक की जांच के बाद, बोर्ड ने चिदंबरम के इन विटल्स को सामान्य स्तर पर होने का उल्लेख किया।

    गुरुवार को अदालत ने निर्देश दिया था कि एम्स में एक बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए और डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी इसका एक हिस्सा होना चाहिए। बोर्ड को तब एम्स के स्टरलाइज़्ड निजी वार्ड में चिदंबरम के प्रवेश पर अपनी रिपोर्ट देनी थी।

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