दुष्कर्म के मामलों में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को उपस्थित रहना होगा : दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

26 Sep 2019 9:10 AM GMT

  • दुष्कर्म के मामलों में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को उपस्थित रहना होगा : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति की उपस्थिति को दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के समय अनिवार्य कर दिया है।

    दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के मद्देनजर मंगलवार को उपरोक्त निर्देश दिए हैं, जिनमें इस आशय के लिए सीआरपीसी की धारा 439 में संशोधन किया गया था।

    इस संशोधन के तहत धारा 439 में उपधारा 1 ए को जोड़ा गया है, जिसके अनुसार आईपीसी की धारा 376,376-एबी, 376-डीए और 376-डीबी के तहत किए गए अपराध के मामले में किसी आरोपी की तरफ से दायर जमानत अर्जी की सुनवाई के समय घटना की सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

    ऐसे मामलों में सूचनाकर्ता को सूचित करने की जिम्मेदारी जांच अधिकारी को दी गई है। विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां पीड़ित की उम्र 12 वर्ष से कम है और आरोपी की तरफ से जमानत अर्जी दायर की गई है। जांच अधिकरी को इस संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट भी दायर करनी होगी।

    अदालत का निर्देश-

    "न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच अधिकारी अनुलग्रक-ए के अनुसार लिखित रूप में सूचनाकर्ता या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति को यह सूचित करे कि उसकी उपस्थिति आईपीसी की धारा 376 की उपधारा (3) या धारा 376-एबी या धारा 376-डीए या धारा 376-डीबी के तहत व्यक्ति द्वारा दायर जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अनिवार्य है। जांच अधिकारी को इन मामलों में जमानत अर्जी पर अपना जवाब /स्टेटस रिपोर्ट दायर करते समय अनुलग्रक-ए भी दायर करना होगा। वहीं न्यायालयों को, जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करने होंगे।"

    कोर्ट ने हाईकोर्ट के साथ-साथ सेशन कोर्ट के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया है कि वह उपरोक्त अपराधों में आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से पहले और इस तरह के आवेदन की प्राप्ति की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर लोक अभियोजक को जमानत आवेदन का नोटिस दें। ऐसा संशोधन अधिनियम के तहत धारा 439 (1) में जोड़े गए एक प्रावधान के मद्देनजर किया जाना जरूरी है।



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