दिल्ली हाईकोर्ट का दस्तावेज़ों की कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश कहा, अदालत के क्लर्क नियमों का उल्लंघन करेंगे तो मिलेगी सज़ा

LiveLaw News Network

20 Sep 2019 3:50 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट का दस्तावेज़ों की कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश कहा, अदालत के क्लर्क नियमों का उल्लंघन करेंगे तो मिलेगी सज़ा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को आदेश की प्रतियां उपलब्ध कराने में अदालत के बहुमूल्य समय की बर्बादी को कम करने के लिए निर्देश जारी किया है।

    वर्तमान मामले में दोनों पक्षों के वकीलों के बीच एक हलफ़नामा पेश करने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। प्रतिवादी के वक़ील नौशाद अहमद खान हलफ़नामे के आधार पर अपना दलील पेश करने वाले थे जबकि याचिकाकर्ता के वक़ील वीपी राणा ने कहा कि उन्हें इस हलफ़नामे की प्रति नहीं दी गई है।

    भोजनावकाश के बाद वकीलों ने कहा कि संबंधित अदालत के क्लर्कों ने इस मामले को आपस में सुलझा लिया है। हक़ीक़त में हलफ़नामे की प्रति दूसरे पक्ष को नहीं दी गई थी जिसे बाद में उपलब्ध करा दिया गया।

    पक्षकारों और क्लर्कों के बीच प्रतियों के आदान-प्रदान में भ्रम की स्थिति को समाप्त करने के लिए न्यायमूर्ति प्रतिभा सिंह ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए :

    -अग्रिम प्रति की पावती की सूचना सूची के पहले या दूसरे पृष्ठ पर दर्ज होगी। पावती की पुष्टि करने वाला व्यक्ति अपना हस्ताक्षर करेगा, अपना नाम लिखेगा, कोर्ट के क्लर्क का पंजीकरण नम्बर और मोबाइल नम्बर दर्ज होगा। उस पार्टी का ही ज़िक्र होगा जिसके लिए पावती दी जा रही है (याचिकाकर्ता/वादी/प्रतिवादी नमबर 1 या 2 आदि)।

    -वक़ील यह सुनिश्चित करेंगे कि उनका अदालत क्लर्क पावती के बारे में मूल दस्तावेज़ में ग़लत सूचना अदालत को नहीं दे।

    -जो क्लर्क ग़लत सूचना देगा उसके ख़िलाफ़ गंभीर कार्रवाई होगी।

    -अग्रिम कॉपी के अलावा हार्ड कॉपी या कुरियर कॉपी भी भेजा जा सकता है ताकि कोई पक्ष सेवा के बारे में कोई विवाद खड़ा ना करे।

    -ऐसी स्थिति में जब वकीलों के पास रिकॉर्ड की कॉपी नहीं हैं, उन्हें इस अदालत की रजिस्ट्री से अदालती रिकॉर्ड से इलेस्ट्रॉनिक कॉपी प्राप्त करने की अनुमति होगी।

    अदालत को लगा कि इस तरह के निर्देश ज़रूरी हैं, क्योंकि दस्तावेज़ों और दलीलों की प्रतियों की अनुपलब्धता के कारण कई बार मामले की सुनवाई स्थगित करनी पड़ती है। इससे अदालत के क्लर्कों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जा सकेगा अगर वे पावती के बारे में ग़लत सूचना देते हैं।

    अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जो आदेश दिए गए हैं उसको नोटिस बोर्ड और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और ज़िला अदालत बार एसोसिएशन के कॉज़ लिस्ट पर लगाया जाएगा और अदालत क्लर्क के एसोसिएशन को भी दिया जाएगा।

    अदालत ने कहा कि अगर अदालत के किसी क्लर्क ने पावती के बारे में ग़लत सूचना दी तो उसके ख़िलाफ़ क़ानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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