Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

INX मीडिया केस : दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम को प्रायवेट वार्ड में भर्ती करने के विषय में फैसला लेने के लिए AIIMS में बोर्ड बनाने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network
31 Oct 2019 8:41 AM GMT
INX मीडिया केस : दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम को प्रायवेट वार्ड में भर्ती करने के विषय में फैसला लेने के लिए AIIMS में बोर्ड बनाने का निर्देश दिया
x

INX मीडिया मामले में मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की याचिका पर विचार करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को निर्देश दिया कि एम्स में एक बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए और डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी इसका एक हिस्सा हों। बोर्ड तब एम्स के निजी वार्ड में चिदंबरम को भर्ती करने पर अपनी रिपोर्ट देगा। अगर बोर्ड सिफारिश करता है, तो चिदंबरम को आगे के उपचार के लिए एम्स में निजी स्टरलाइज़्ड (जीवाणुरहित) वार्ड में भर्ती कर दिया जाएगा।

पूर्व वित्त मंत्री ने अंतरिम जमानत के लिए एक अर्जी दी थी, जिसमें कहा गया है कि चिदंबरम क्रोहन रोग के कारण लगातार पेट दर्द के लिए हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में डॉक्टर डी नागेश्वर रेड्डी से जांच करवाना चाहते थे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम की जांच एम्स के डॉक्टर आहूजा द्वारा की गई, जो क्रोहन रोग के विशेषज्ञ हैं। डॉक्टर आहूजा ने भी आवेदक के अनुरोध पर डॉक्टर रेड्डी के साथ बातचीत की, जहां उन्होंने कहा कि उपचार की की दिशा ठीक है।

सॉलिसिटर जनरल ने यह भी तर्क दिया कि स्टरलाइज़्ड (जीवाणुरहित) वातावरण एम्स में ही आवेदक को उपलब्ध करवाया जा सकता है। उन्होंने कहा,

'सभी वीवीआईपी निजी वार्ड या एम्स में इलाज के लिए आते हैं। डॉक्टर रेड्डी यहां आएं और चिदंबरम का इलाज करें। '

सिब्बल ने इस प्रस्ताव का पर कहा कि चिदंबरम को कम से कम निजी अस्पताल ले जाना चाहिए। जब इस मांग को अस्वीकार कर दिया गया, तो सिब्बल ने एम्स में एक स्टरलाइज़्ड निजी वार्ड देने के लिए निवेदन किया।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने यह भी निर्देश दिया कि एक बार बोर्ड को रिपोर्ट तैयार करने के बाद, एसजी तुषार मेहता को यह रिपोर्ट दिखाई जाएगी। अदालत तब रिपोर्ट के अनुसार चिदंबरम को भर्ती करने के संबंध में आदेश पारित करेगी।

चिदंबरम ने पहले 24.10.2019 को वर्तमान अदालत के समक्ष एक नियमित जमानत अर्जी दी जिसमें न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत ने ईडी को नोटिस जारी किया था, एजेंसी को एक सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

आवेदन में यह उल्लेख किया गया था कि चिदंबरम की पहली बार 7 अक्टूबर को एम्स में डॉक्टरों द्वारा जांच की गई थी, जिसके अनुसार उन्हें कुछ एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं निर्धारित की गई थीं। एक सप्ताह की राहत के बाद, दर्द फिर से शुरू हो गया और उन्हें फिर से टेस्ट के लिए एम्स ले जाया गया।

चिदंबरम द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि एम्स में दूसरे टेस्ट के बाद निर्धारित दवा से उन्हें तीव्र पेट दर्द से राहत नहीं मिली। सीटी एंटरोग्राफी और CECT चेस्ट टेस्ट जो RML अस्पताल में किए गए थे, सभी रिपोर्ट को भी आवेदन में संलग्न कर दिया गया है।

रिपोर्ट में पेट दर्द के अलावा दस्त की शिकायत होना बताई गई। इसके बाद, चिदंबरम को तुरंत एम्स ले जाया गया और अब उन्हें 16 सप्ताह के लिए एक स्टेरॉयड उपचार दिया गया है।

चिदंबरम ने डॉक्टर रेड्डी से इलाज की मांग की थी क्योंकि वह उनके नियमित डॉक्टर हैं। उनके परिवार ने डॉक्टर रेड्डी के साथ रिपोर्ट साझा करने के बाद उन्होंने यह कहकर उन्हें जवाब दिया कि पिछली रिपोर्टों की तुलना में हालिया रिपोर्ट बताती है कि चिदंबरम की आंतों में क्रोन की बीमारी के कारण सूजन बढ़ गई है।

Next Story