दिल्ली वायु प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट ने 10 महीने में स्मॉग टावर लगाने का आदेश दिया
LiveLaw News Network
3 Sept 2020 1:42 PM IST
Delhi Air Pollution: SC Directs Completion Of Smog Towers Construction In 10 Months
सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से दिल्ली में स्मॉग टावरों के निर्माण को पूरा करने के लिए दस महीने का समय दिया है। पर्यावरण मंत्रालय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और दिल्ली सरकार के पर्यावरण और वन विभाग ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा था कि यह काम 10 महीने में पूरा हो जाएगा।
मंत्रालय और विभाग ने अदालत को आगे बताया कि अपेक्षित धनराशि को टाटा कंसल्टेंसी को हस्तांतरित कर दिया गया है। इसके अलावा, MoEF की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया था कि 52 लाख रुपये क्लीन एयर-केयर एलएलसी में भी स्थानांतरित किए गए हैं जो मिनिसोटा विश्वविद्यालय की लाइसेंसधारी है।
हलफनामे को रिकॉर्ड में लेते हुए पीठ ने चेतावनी दी कि "किसी भी आधार पर किसी भी उल्लंघन को इस अदालत द्वारा पारित आदेश की अवमानना माना जाएगा क्योंकि आदेश का अनुपालन करने में पहले से ही बहुत अनुचित देरी हो चुकी है।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा,
"हालांकि, चूंकि कदम उठाए जा रहे हैं और हलफनामे को दाखिल किया गया है, हम इस अदालत द्वारा पारित आदेश के उल्लंघन के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं, केवल परियोजना को पूरा करने के लिए सुसज्जित कार्रवाई और हलफनामे के आधार पर परियोजना को सकारात्मक रूप से 10 महीने के भीतर पूरा होने दें।"
कोर्ट ने एमसी मेहता मामले में ये आदेश पारित किया। जनवरी 2020 में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि
सर्दियों में राष्ट्रीय राजधानी द्वारा सामना करने वाली हर साल की परेशानी से निपटने के लिए अनिवार्य रूप से बड़े पैमाने पर एयर प्यूरीफायर की स्थापना के तहत नई दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में स्मॉग टॉवर लगाया जाए। इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 3 महीने के भीतर करने का निर्देश दिया गया था।
इसमें शामिल सिद्धांत और प्रौद्योगिकी पर IIT बॉम्बे के एक प्रोफेसर के साथ चर्चा की गई थी, जो वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विभिन्न तकनीकों और विकल्पों को देखने वाली एक उच्च-शक्ति समिति का हिस्सा थे । इसके बाद, न्यायाधीशों ने परियोजना को शुरू करने के लिए IIT बॉम्बे को जिम्मेदारी दी ।
केंद्र ने कोर्ट को यह भी आश्वासन दिया था कि स्मॉग गन और इसी तरह के अन्य उपाय किए जाएंगे, खासकर राष्ट्रीय राजधानी के उन इलाकों में जहां प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है। हालांकि, IIT बॉम्बे के प्रोफेसर ने कहा था कि अगस्त 2020 से पहले स्मॉग टॉवर स्थापित करना संभव नहीं होगा।
30 जुलाई को, पीठ ने केंद्र द्वारा शुरू में 3 महीने की अवधि में परियोजना को पूरा करने में विफलता पर नाराजगी व्यक्त की थी।
जब सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि IIT बॉम्बे ने परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख में अपनी भूमिका से पीछे हटने का फैसला किया है, तो न्यायमूर्ति मिश्रा के माध्यम से पीठ ने बहुत नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि वे सख्त कार्रवाई करेंगे और संस्थान के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का संकेत दिया था। बेंच ने इस परियोजना को देखने के लिए सरकार की गंभीरता पर भी सवाल उठाया था।
तत्पश्चात, SG ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT बॉम्बे) के अधिकारियों से संपर्क किया था, जिसके अनुसार, संस्थान केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और अन्य हितधारकों के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करेगा।
उस सुनवाई के दौरान प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को दिल्ली में स्मॉग टॉवर परियोजना के बारे में सारा विवरण देने के लिए एक व्यापक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था और बताने को कहा था कि अदालत के आदेशों के अनुसार इसे पूरा क्यों नहीं किया गया।
उसके लिए, 4 अगस्त को, केंद्र ने परियोजना में वास्तविक समय की प्रगति और विभिन्न हितधारकों की जिम्मेदारियों से न्यायालय को अवगत कराया। यह बताया गया कि राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (NBCC) टॉवर का निर्माण करेगा, जबकि TATA स्थापना कार्य के लिए जिम्मेदार होगा।
एक संबंधित आदेश में, शीर्ष अदालत ने भारतीय रेलवे को दिल्ली में रेल पटरियों के आसपास 48,000 झुग्गी बस्तियों को हटाने के लिए 3 महीने की अवधि के भीतर कदम उठाने का निर्देश दिया।