ऑड-ईवन योजना भी प्रदूषण पर काबू पाने में नाकाम, यूपी, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली विफल : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
15 Nov 2019 6:45 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा, पंजाब, यूपी और दिल्ली की सरकारों को भारी फटकार लगाते हुए कहा कि वो प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रही हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने 29 नवंबर को इन सरकारों के मुख्य सचिवों को तलब किया है। कोर्ट ने पहले उन्हें 6 नवंबर को भी तलब किया था।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा गया है कि वह 3 पहिया वाहनों को औचक तरीके से जांचें जो प्रदूषणकारी ईंधन पर चल रहे हैं और 7 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। डीडीए, पीडब्ल्यूडी और अन्य नागरिक निकायों को अदालत के आदेशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी समिति के साथ सहयोग करने को कहा गया है।
पीठ ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना से समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है। योजना के बावजूद वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
पीठ ने कहा, "यहां तक कि समस्या के लिए ये दीर्घकालिक समाधान नहीं है। सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बेहतर बनाया जाना चाहिए। लेकिन इसके प्रति बहुत काम नहीं किया गया है।"
न्यायमूर्ति मिश्रा ने टिप्पणी की कि यह योजना केवल मध्यम और निम्न वर्ग वर्गों को प्रभावित करती है। अमीर वर्गों के पास कई कारें हैं।
वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अदालत को सूचित किया कि कारें केवल 3% प्रदूषण में योगदान करती हैं। बोर्ड ने कहा कि पराली जलाने का प्रभाव पूरी तरह से दूर नहीं हुआ है, इसके बावजूद इसे रोका जा रहा है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऑड-ईवन योजना ने प्रदूषण को 5-12% तक कम करने में मदद की है।
"क्या हमें कुछ लागू नहीं करना चाहिए भले ही इसका न्यूनतम प्रभाव हो, " रोहतगी ने पूछा।
वहीं पीठ ने सरकार से कहा कि वो चीन की तर्ज पर दिल्ली में स्मॉग टावर लगाने पर भी रोडमैप तैयार करे।
दरअसल दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता में गिरावट को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर और 6 नवंबर को निर्देशों जारी किए थे। पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली
जलाए जाने के प्रचलन को रोकने के लिए कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और यूपी की सरकारों को निर्देश दिया कि फसल अवशेषों को संभालने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को सात दिनों के भीतर 100 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय सहायता दे।
कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर भी रोक लगा दी थी।