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''देश को बदनाम किया जा रहा है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल की जा रही है'', बॉम्बे हाईकोर्ट में TikTok पर बैन लगाने के लिए याचिका

LiveLaw News Network
19 Nov 2019 5:30 AM GMT
देश को बदनाम किया जा रहा है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल की जा रही है, बॉम्बे हाईकोर्ट में  TikTok पर बैन लगाने के लिए याचिका
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मुंबई की रहने वाली हिना दरवेश ने बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें लोकप्रिय मोबाइल ऐप TikTok पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।

जनहित याचिका में दावा किया गया है कि चानइनीज एप्लिकेशन TikTok, जिसके दुनिया भर में 200 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं हैं, देश के युवाओं को प्रभावित कर रही है, क्योंकि यह नशे की लत की तरह है जिससे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

TikTok के कारण दुर्घटनाएं?

11 नवंबर को दायर जनहित याचिका के अनुसार, टिक्टॉक के कारण असंख्य मौतें और दुर्घटनाएं हुई हैं। पीआईएल में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय अखंडता खतरे में है, हिंदू-मुस्लिम दुश्मनी को बढ़ावा दिया जा रहा है, देश के युवाओं को खराब किया जा रहा है।''हमारे देश को पूरी दुनिया में बदनाम किया गया है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल हो रही है।''

3 अप्रैल, 2019 को मदुरई पीठ ने एक तरफा आदेश देते हुए सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगा दे। पीठ ने कहा था कि, ''एप्लिकेशन में पोस्ट की जा रही अनुचित सामग्री, जिसमें भाषा और पोर्नोग्राफी भी शामिल है, इनको देखते हुए यह एप्लिकेशन बच्चों के लिए खतरनाक है।''

मद्रास हाईकोर्ट ने हटाया था बैन

हालांकि, एप्लिकेशन की मालिक कंपनी बायडांस (इंडिया) टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड ने मदुरई पीठ द्वारा निर्देशित प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक विशेष अवकाश याचिका दायर की थी।

शीर्ष अदालत ने मदुरई पीठ के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और मद्रास हाईकोर्ट को मामले पर विचार करने का निर्देश दिया था। मद्रास हाईकोर्ट ने 24 अप्रैल को प्रतिबंध हटा दिया था।

विडंबना यह है कि, जनहित याचिका में यह भी दावा किया गया है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के माध्यम से बहुत सारे सार्वजनिक धन को बर्बाद किया जा रहा है क्योंकि TikTok के खिलाफ बहुत सारे मामले दर्ज किए गए हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील अली कासिफ खान देशमुख उपस्थित हो रहे हैं। लाइवलाव से बात करते हुए, देशमुख ने कहा - ''हम सीएमआईएस की तारीख का इंतजार नहीं करेंगे, मैं न्यायमूर्ति एस.सी धर्माधिकारी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले को रखूंगा।''

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