राज्य कोटे के अधीन किसी राज्य के निवासी होने के आधार पर पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश में मिलने वाले आरक्षण की संवैधानिक वैधता : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ को सौंपा

LiveLaw News Network

10 Dec 2019 6:37 AM GMT

  • राज्य कोटे के अधीन किसी राज्य के निवासी होने के आधार पर पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश में मिलने वाले आरक्षण की संवैधानिक वैधता : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बड़ी पीठ को सौंपा

    किसी राज्य के निवासी होने के आधार पर राज्य कोटे के अधीन पीजी मेडिकल कॉलेजों में मिलने वाले आरक्षण की संवैधानिक वैधता के निर्धारण के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ को सौंप दिया है।

    न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने इस मामले बड़ी पीठ को सौंपते हुए उससे निम्न प्रश्नों पर गौर करने को कहा,

    " पहला तो यह कि राज्य कोटे के अधीन पीजी मेडिकल कोर्स में राज्य के निवासी होने के आधार पर प्रवेश में आरक्षण का संवैधानिक औचित्य है कि नहीं?


    अगर पहले प्रश्न का उत्तर नकारात्मक है और किसी राज्य के निवासी होने के कारण पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश में आरक्षण देने की अनुमति है, तो राज्य कोटे के अधीन इस आरक्षण का हद और इसका तरीका क्या होगा?


    अगर किसी राज्य के निवासी होने के आधार पर पीजी मेडिकल कोर्स में राज्य कोटे के अधीन प्रवेश में आरक्षण की अनुमति है, और यह मानकर कि सभी प्रवेश मेरिट के आधार पर और एनईईटी (नीट) में प्राप्त होने वाले रैंक के आधार पर होगा तो फिर निवासी होने के आधार पर प्रवेश में आरक्षण देने की प्रक्रिया क्या होगी अगर उस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में एक ही मेडिकल कॉलेज है?


    अगर पहले प्रश्न का उत्तर सकारात्मक है और राज्य कोटे के अधीन उस राज्य का निवासी होने के आधार पर पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश की अनुमति नहीं है उस राज्य कोटे की सीटों को कैसे भरा जाएगा?"

    अदालत ने डॉ. तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाईकोर्ट के सामने मुद्दा था कि किसी राज्य के निवासी होने के आधार पर पीजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश में आरक्षण संवैधानिक रूप से अवैध है और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेडिकल कॉलेज ने अपने प्रॉस्पेक्टस में राज्य के निवासी होने के आधार पर आरक्षण देने की जो बात कही है वह अवैध है।


    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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