वक़ील अदालत में क़ानूनी मामलों में जो छूट देता है, वह मुवक्किल के लिए बाध्यकारी नहीं, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

LiveLaw News Network

27 Sept 2019 12:23 PM IST

  • वक़ील अदालत में क़ानूनी मामलों में जो छूट देता है, वह मुवक्किल के लिए बाध्यकारी नहीं, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क़ानून के मामले में वक़ील अदालत में जो छूट देता है वह मुवक्किल के लिए बाध्यकारी नहीं है। इस मामले में, ओडिशा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने पेशे से शिक्षक प्रमोद कुमार साहू की एक याचिका स्वीकार कर ली थी। आवेदनकर्ता ने दावा किया था उसको उसकी नियुक्ति के दिन से ही ₹840-1240 का वेतनमान मिलना चाहिए और उड़ीसा संशोधित वेतनमान नियम, 1989 को 1990 में संशोधित करने के बाद उन्हें ₹1080-1800 मिलना चाहिए।

    ट्रिब्यूनल ने विभाग के वक़ील की दलील सुनी जिसने इस बात पर सहमति ज़ाहिर की कि जिन शिक्षकों के पास इंटरमीडिएट की योग्यता है, उन्हें वह वेतनमान उपलब्ध है जो प्रशिक्षित मैट्रिक के शिक्षकों को उपलब्ध है। विभाग ने जो समीक्षा याचिका दायर की उसे ट्रिब्यूनल ने ख़ारिज कर दिया और हाईकोर्ट ने भी ट्रिब्यूनल के आदेश को सही बताया।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह दलील दी गई कि राज्य के वक़ील ने जो छूट दी है वह ग़लत है और वह राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं है।

    न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा,

    "राज्य के वक़ील ने ट्रिब्यूनल के समक्ष जो छूट दी है वह वैधानिक नियमों के ख़िलाफ़ है। इस तरह के छूट राज्य के लिए बाध्यकारी नहीं हैं, क्योंकि क़ानून के ख़िलाफ़ कोई विबंधन नहीं हो सकता। नियम के तहत एक विशेष वेतनमान दिया जाता है इसलिए राज्य के वक़ील ने ट्रिब्यूनल के समक्ष जो छूट दी वह अपीलकर्ता के लिए बाध्यकारी नहीं है।"

    हिमालयन को-ऑपरेटिव ग्रूप हाउज़िंग सोसायटी बनाम बलवान सिंह मामले में कहा गया कि न मुवक्किल और न ही अदालत के लिए वक़ील के बयान या उसकी स्वीकारोक्ति बाध्यकारी है।

    ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के आदेशों को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि प्रशिक्षित मैट्रिक शिक्षक और अप्रशिक्षित मैट्रिक शिक्षक के बीच अंतर को स्पष्ट नहीं किया गया। पीठ ने कहा,

    प्रशिक्षित मैट्रिक शिक्षक वह होता है जिसे पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस तरह के प्रशिक्षण के अभाव में, प्रतिवादी को प्रशिक्षित मैट्रिक शिक्षक नहीं कहा जा सकता है और फिर उसे वह वेतनमान नहीं मिल सकता जो शिक्षकों के लिए निर्धारित है। प्रशिक्षित व्यक्ति या उच्च योग्यता वाले व्यक्ति को उच्च वेतनमान देने के लिए शैक्षिक योग्यता के आधार पर जो वर्गीकरण किया गया है वह एक सही वार्गीकरण है।



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