CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप: SC ने 'अवांछनीय' सामग्रियों को हटाने की जिम्मेदारी मीडिया पर छोड़ी [आदेश पढ़ें]

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20 April 2019 1:17 PM GMT

  • CJI के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप: SC ने अवांछनीय सामग्रियों को हटाने की जिम्मेदारी मीडिया पर छोड़ी [आदेश पढ़ें]

    "हम इस समय किसी भी न्यायिक आदेश को पारित करने से परहेज कर रहे हैं, और हम इसे मीडिया के ऊपर छोड़ रहे हैं कि वो इस मुद्दे पर संयम दिखाते हुए जिम्मेदारी से कार्य करें, जैसा कि उनसे अपेक्षित है।"

    सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आज आयोजित हुई एक विशेष बैठक के बाद पारित हुआ।

    हालांकि इस पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी शामिल थे, लेकिन इस आदेश को पीठ के अन्य 2 न्यायाधीशों (जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना) द्वारा किये गए हस्ताक्षर के साथ पारित किया गया है। इस कार्यवाही के रिकॉर्ड में 'कोरम' में भी उनके नाम का उल्लेख नहीं है।
    आदेश में लिखा गया है:
    "इस मामले पर विचार करने के बाद, हम इस समय किसी भी न्यायिक आदेश को पारित करने से परहेज कर रहे हैं, और इसे मीडिया के ऊपर छोड़ रहे हैं कि वो इस मुद्दे पर संयम दिखाते हुए समझदारी से काम करें, जैसा कि उनसे उम्मीद की जाती है और उनके द्वारा इसी के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए कि इस मुद्दे से जुड़ी क्या चीज़ प्रकाशित की जानी चाहिए और क्या नहीं, क्योंकि इन बेबुनियाद और निंदनीय आरोपों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता कमजोर पड़ती है एवं उसकी प्रतिष्ठा को अपूरणीय रूप से नुकसान पहुंचता है। इसलिए हम इस समय इस तरह की सामग्री को, जो अवांछनीय है, हटाना मीडिया पर छोड़ देते हैं।"
    पीठ में शामिल, CJI ने कहा कि उनका मानना ​​है कि इसके पीछे एक बड़ी साजिश है जिसका कार्य 'CJI के कार्यालय को निष्क्रिय करना है।' दरअसल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा इस मामले का उल्लेख करने के बाद एक विशेष बैठक बुलाई गयी थी। अदालत ने कहा कि एक 'उचित पीठ' इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी।

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