कोर्ट में चिदंबरम की दलील, उनसे 55 घंटे तक पूछताछ की और 800 सवाल पूछे लेकिन बैंक खाते पर कोई सवाल नहीं

LiveLaw News Network

31 Aug 2019 7:56 AM GMT

  • कोर्ट में चिदंबरम की दलील, उनसे 55 घंटे तक पूछताछ की और 800 सवाल पूछे लेकिन बैंक खाते पर कोई सवाल नहीं

    दिल्ली की राउज एवेन्यू सीबीआई विशेष जज अजय कुमार कुहार ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की सीबीआई हिरासत को 2 सितंबर तक और बढ़ा दिया। अदालत ने चिदंबरम की उस दलील को स्वीकार कर लिया कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट उनकी सीबीआई रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा इसलिए उन्हें सोमवार तक सीबीआई हिरासत में भेजा जा सकता है।

    सीबीआई के हिरासत बढ़ाने के अनुरोध पर अदालत ने उठाए प्रश्न

    शुक्रवार को सुनवाई शुरू होने पर सीबीआई की ओर से 5 दिन की हिरासत बढ़ाने की मांग की गई तो जज ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एजेंसी ने एक ही बार में 14 दिनों की हिरासत क्यों नहीं मांगी। इसके बाद अदालत ने केस डायरी देखी और कहा कि सीबीआई का हिरासत बढ़ाने का आधार बहुत कमजोर है। क्यों ना उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाए?

    अदालत ने चिदंबरम से CBI की हिरासत की मांग पर किया सवाल

    कोर्ट ने चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दयानकृष्णन से पूछा कि क्या वो इस हिरासत का विरोध कर रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि फिलहाल वो विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्हें सोमवार तक की हिरासत में भेजा जा सकता है। इसी दौरान पी. चिदंबरम ने स्वयं यह दलील दी कि वो 5 दिनों की हिरासत का विरोध करते हैं। एजेंसी ने उनसे 55 घंटे तक पूछताछ की और 800 सवाल पूछे लेकिन बैंक खाते पर कोई सवाल नहीं किया।

    उन्होंने कहा कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट उनकी सीबीआई रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाला है तो वो सोमवार तक एजेंसी की हिरासत में रह सकते हैं। अदालत ने इस दलील को मानते हुए उन्हें सोमवार तक फिर से सीबीआई की हिरासत में भेज दिया।

    "चिदंबरम से पूछताछ है बाकी; कुछ सवालों के जवाब तलाशने हैं"

    इससे पहले अदालत ने 30 अगस्त तक 4 दिन की हिरासत और बढ़ा दी थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहते हुए हिरासत 5 और दिन बढ़ाने का आग्रह किया था कि पूछताछ अभी पूरी नहीं हुई है। चिदंबरम का 26 अगस्त को सह-अभियुक्तों में से एक के साथ आमना - सामना कराया गया है। INX कंपनी के ईमेल ट्रेल की जांच करने की भी आवश्यकता है। इसके अलावा ईडी जांच के दौरान कुछ सवाल उठे हैं जिनके जवाब तलाशे जाने हैं।

    जब जज ने पूछा था कि पिछले 4 दिनों की पूछताछ में क्या निकला तो SG ने "बड़ी साजिश" पर गौर करने की आवश्यकता भी जताई और कहा कि मनी ट्रेल की जानकारी के लिए 5 देशों को लेटर ऑफ रोगेटरी भेजा गया है।

    "चिदंबरम पर आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल की कोशिश"

    इससे पहले चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उनकी रिमांड बढ़ाने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पूछताछ महज एक ढोंग है। सीबीआई ने उन्हें उस आरोप के बारे में कोई दस्तावेज नहीं दिया है कि उन्हें 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया गया था। सिब्बल ने कहा कि सीबीआई महज सनसनीखेज आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल चला रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि पीटर मुखर्जी द्वारा दिए गए बयानों के बारे में अभियुक्त से एक ही प्रश्न पूछा गया था और जब अभियुक्त ने इनकार किया तो कोई और प्रश्न नहीं पूछा गया।

    "CBI पूछताछ के लिए खर्च कर रही है अनुचित समय"

    इस बात पर जोर देते हुए कि जांच की प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए, सिब्बल ने SG से कहा था कि वह अदालत को मामले से जुड़े दस्तावेज और केस डायरी दिखाएं। किसी व्यक्ति को बिना किसी सबूत के हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सिब्बल ने यह भी कहा था कि सीबीआई पूछताछ के लिए अनुचित रूप से लंबा समय खर्च कर रही है और वह भी बिना किसी दस्तावेज के।

    "अगर आप हमें दस्तावेज नहीं दिखाना चाहते हैं तो कम से कम इसे अदालत को दिखाएं", उन्होंने आगे टिप्पणी की। सिब्बल ने यह भी कहा कि शेल कंपनियों, विदेशी बैंक खातों, आदि के बारे में अभियुक्त को कोई दस्तावेज नहीं दिया गया है। सिब्बल द्वारा यह भी कहा गया था कि आरोपी से ईमेल के मुद्दे पर पहले ही पूछताछ की जा चुकी है और आरोपी पहले ही उन्हें जवाब दे चुके हैं। इसके अलावा 'बड़ी साजिश' के आरोप का भी रिमांड अर्जी में उल्लेख नहीं किया गया है।

    चिदंबरम पर हैं आरोप

    आरोप है कि वर्ष 2007 में वित्त मंत्री रहते हुए चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति चिदंबरम के साथ जुड़ी कंपनियों के माध्यम से मीडिया हाउस से पारस्परिक लाभ लेकर INX द्वारा लगभग 305 करोड़ रुपये के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी दी थी।सीबीआई और ईडी द्वारा क्रमशः वर्ष 2017 और 2018 में मामले दर्ज किए गए थे।

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने 20 अगस्त को अग्रिम जमानत के उनके आवेदन को खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा था कि यह "मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मामला" है। चिदंबरम को कथित भ्रष्टाचार सौदे का "किंगपिन और प्रमुख साजिशकर्ता" बताया गया था। इसके बाद सीबीआई के न्यायाधीश अजय कुमार कुहार ने 22 अगस्त को सीबीआई को 4 दिनों के लिए रिमांड की अनुमति दी और कहा कि आरोप "प्रकृति में गंभीर" हैं और मामले में "विस्तृत और गहन जांच आवश्यक" है।

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