सर्विस रिकॉर्ड में जन्म तिथि में परिवर्तन का दावा अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता; देरी के आधार पर खारिज किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
22 Sept 2021 8:22 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्विस रिकॉर्ड में जन्म तिथि में परिवर्तन का दावा अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता है, भले ही ठोस सबूत हों।
अदालत ने कहा कि इस तरह के आवेदनों पर केवल लागू प्रावधानों/नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की जा सकती है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि उन्हें देरी के आधार पर खारिज किया जा सकता है और विशेष रूप से जब यह सेवा के अंतिम छोर पर किया जाता है और/या जब कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होने वाला होता है।
इस मामले में कर्नाटक रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड के एक कर्मचारी ने जन्म तिथि में परिवर्तन करने का अनुरोध किया। इसके बाद, उन्होंने घोषणा के लिए एक मुकदमा दायर किया कि उनकी जन्म तिथि 24.01.1961 है। उक्त वाद को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने अपील की अनुमति दी और वाद का आदेश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपील में निगम ने तर्क दिया कि किसी राज्य सेवक के लाभ के लिए जन्म तिथि में ऐसा कोई परिवर्तन तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि कर्मचारी ने अपनी उम्र और तारीख से तीन साल के भीतर इस उद्देश्य के लिए आवेदन नहीं किया हो। जन्म की तारीख को स्वीकार किया जाता है और सर्विस रजिस्टर या पुस्तक या सर्विस के किसी अन्य रिकॉर्ड में या कर्नाटक राज्य सेवक (आयु का निर्धारण) अधिनियम, 1974 के लागू होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर, जो भी बाद में हो, में दर्ज किया जाता है।
इस मामले में निगम ने प्रस्तुत किया कर्मचारी ने पहली बार नोटिस दिनांक 23.06.2007 को आवेदन किया, अर्थात सर्विस में शामिल होने के 24 साल बीत जाने के बाद और अधिनियम (अधिनियम, 1974) को अपनाने की तारीख से लगभग 16 साल बीत जाने के बाद।
अदालत ने इस संबंध में पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा,
(i) जन्मतिथि में परिवर्तन के लिए आवेदन केवल लागू प्रासंगिक प्रावधानों/विनियमों के अनुसार ही हो सकता है।
(ii) भले ही ठोस सबूत हों, लेकिन उनका दावा अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता है।
(iii) आवेदन को देरी के आधार पर खारिज किया जा सकता है और विशेष रूप से तब भी जब यह सेवा के अंत में किया जाता है और/या जब कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होने वाला हो। (पैरा 10)
अदालत ने इस मामले में देखा कि कर्मचारी घोषणा की डिक्री का हकदार नहीं है। अदालत ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय के फैसले को लागू किया गया है और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया है। इसलिए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
CITATION: एलएल 2021 एससी 485
केस का नाम: कर्नाटक रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड बनाम टी.पी. नटराजन
केस नं.| दिनांक: CA 5720 of 2021 | 21 सितंबर 2021
कोरम: जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना