'ऐक्ट ऑनली पॉलिसी' के संदर्भ में क्या पीछे बैठने वाला बीमा का दावा कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

LiveLaw News Network

19 Nov 2019 4:15 AM GMT

  • ऐक्ट ऑनली पॉलिसी के संदर्भ में क्या पीछे बैठने वाला बीमा का दावा कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

    अगर कोई पॉलिसी 'ऐक्ट ऑनली' है तो क्या किसी डपहिये पर पीछे बैठा व्यक्ति बीमा का दावा कर सकता है या नहीं इस बारे में सुप्रीम कोर्ट जांंच करेगा।

    न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हरिशिकेश रॉय की पीठ ने विशेष अनुमति याचिका के तहत एक नोटिस जारी किया है। यह याचिका एक बीमा कंपनी ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर किया है।

    ब्रांच मैनेजर लीगल, नैशनल इंस्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम पिंटू मामले में बीमा कंपनी ने दलील दी कि चूँकि बीमा पॉलिसी 'ऐक्ट ऑनली पॉलिसी' था न कि 'कॉम्प्रेहेन्सिव पैकेज पॉलिसी' इसलिए बीमा कंपनी वाहन के पीछे बैठे व्यक्ति को लगी चोट के लिए मुआवज़े का भुगतान नहीं कर सकती।

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की इस दलील को ख़ारिज कर दिया था और कहा,

    "दुपहिया पर पीछे बैठने वाले व्यक्ति को बीमित या बीमाकर्ता नहीं माना जा सकता, और जहाँ तक बीमाकर्ता की देनदारी का संबंध है, वह भी तीसरा पक्ष है और इसलिए बीमाकर्ता इस आधार पर देनदारी देने से बच नहीं सकता कि पॉलिसी में पीछे बैठने वाले यात्री का रिस्क कवर नहीं है। ज़ाहिराना तौर पर, यह पॉलिसी तीसरे पक्ष का रिस्क कवर करता है और पीछे बैठनेवाले व्यक्ति को तीसरा पक्ष माना जाना चाहिए।"


    यह ग़ौर करने वाली बात है कि ऑरिएंटल इंस्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम सुधाकरण केवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर ग़ौर किया है कि किसी स्कूटर पर पीछे की सीट पर बैठा व्यक्ति अधिनियम की धारा 147 के तहत तीसरा पक्ष होगा।

    अदालत ने कहा : (i) इस तरह के मामले में बीमा कंपनी की देनदारी में वाहन के पीछे बैठने वाला व्यक्ति शामिल नहीं है बशर्ते कि इस व्यक्ति के कवरेज के लिए बीमा प्रीमीयम का भुगतान किया जाता है; (ii) अधिनियम की धारा 147 के तहत बनने वाली क़ानूनी उत्तरदायित्व के तहत वाहन के मालिक या पीछे की सीट पर बैठने वाले को चोट लगना या मौत शामिल नहीं है; और (iii) दुपहिया वाहन में पीछे की सीट पर बैठने वाले व्यक्ति को दूसरे वाहन के ड्राइवर के कारण नहीं बल्कि असावधानी से स्कूटर चलाने के कारण हुई दुर्घटना के समय तीसरा पक्ष नहीं माना जा सकता।"

    बाद में नेशनल इंस्योरेंश कंपनी लिमिटेड बनाम बालकृष्णन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आईआरडीए सर्कुलर पर ग़ौर करते हुए कहा कि दुपहिया की व्यापक/पैकेज पॉलिसी के तहत पीछे बैठनेवाला व्यक्ति भी बीमित होता है और किसी निजी कार के व्यापक/पैकेज पॉलिसी के तहत उसमें बैठे लोग कवर होते हैं। लेकिन यह कहा गया कि 'ऐक्ट ऑनली पॉलिसी' की स्थिति व्यापक/पैकेज पॉलिसी से अलग होती है।"

    आदेश प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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