कलकत्ता हाईकोर्ट ने RBI को दिया निर्देश, बैंक ऑफ बड़ौदा का लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य कदम उठाने पर करें विचार
LiveLaw News Network
16 Feb 2020 6:37 AM GMT
![कलकत्ता हाईकोर्ट ने RBI को दिया निर्देश, बैंक ऑफ बड़ौदा का लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य कदम उठाने पर करें विचार कलकत्ता हाईकोर्ट ने RBI को दिया निर्देश, बैंक ऑफ बड़ौदा का लाइसेंस रद्द करने सहित अन्य कदम उठाने पर करें विचार](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2020/02/16/750x450_370321-785vtlgtww3vhoilgkjk3rdfkdlpahqcm9e4904421.jpg)
बैंक ऑफ बड़ौदा को एक बड़ा झटका देते हुए, कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरबीआई से कहा है कि वह बिना शर्त बैंक गारंटी के भुगतान से संबंधित बैंक ऑफ बड़ौदा के आचरण के लिए उसके लाइसेंस को निरस्त करने सहित बैंक के खिलाफ उचित कदम उठाने पर विचार करे।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) द्वारा दायर एक क्रॉस-ओब्जेक्शन का निपटान करते हुए न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की खंडपीठ ने निर्देश दिया,
"अपीलकर्ताओं के आचरण को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक को यह विचार करना चाहिए कि बैंक ऑफ बड़ौदा के लाइसेंस को रद्द करने सहित बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ क्या उचित कदम उठाए जा सकते हैं।"
सिम्प्लेक्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से IOCL को 6.67 करोड़ रुपये बिना शर्त बैंक गारंटी के रूप में भुगतान जारी करने में बैंक के विफल होने के बाद यह मामला सामने आया।
IOCL के अनुसार, सिंप्लेक्स ने अनुबंध के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने पर बैंक गारंटी लागू करना स्वीकार किया था। इसलिए यह तर्क दिया कि बैंक को बिना शर्त बैंक गारंटी के तत्काल भुगतान को रोकने का कोई अधिकार नहीं था।
IOCL ने दावा किया कि बैंक ने सिंप्लेक्स को बैंक गारंटी की मांग के संबंध में सूचित किया जिसके अनुसार IOCL और सिम्प्लेक्स के बीच मैट्रिक्स अनुबंध के तहत सिम्प्लेक्स ने मध्यस्थता समझौते के आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 9 के तहत कार्यवाही तुरंत शुरू की। ।
इसने आगे कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी देखा कि बैंक गारंटी बिना शर्त के थी और गारंटी के लागू होने के बाद भुगतान को टाला नहीं जा सकता था। फिर भी, बैंक ने इस आधार पर बिना शर्त गारंटी के मामले में भुगतान जारी करने से इनकार कर दिया कि बैंक को सिम्प्लेक्स द्वारा पैसा उपलब्ध नहीं कराया गया है।
इस पृष्ठभूमि में IOCL ने तर्क दिया कि बैंक ऑफ बड़ौदा के आचरण को देखते हुए, इसके लाइसेंस को रद्द करने के लिए एक उचित आदेश पारित किया जाना चाहिए, क्योंकि इसने एक राष्ट्रीयकृत बैंक होते हुए अनुचित तरीके से काम किया था।
खंडपीठ ने आरबीआई से इस दिशा में उचित कदम उठाने को कहा है।
आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें