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कलकत्ता हाईकोर्ट ने वकीलों की हड़ताल की निंदा की, न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने पर पुलिस को दिए कार्रवाई करने के निर्देश

LiveLaw News Network
28 Dec 2019 4:00 AM GMT
कलकत्ता हाईकोर्ट ने वकीलों की हड़ताल की निंदा की, न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने पर पुलिस को दिए कार्रवाई करने के निर्देश
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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वकीलों की हड़ताल पर कड़ी आपत्ति ली और चेतावनी दी कि न्यायाधीशों, पुलिस कर्मियों या अन्य लोक सेवकों को अदालत में प्रवेश करने से किसी भी तरह की बाधा पहुंचाने पर यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी का अपराध होगा और आरोपियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।

न्यायमूर्ति जोमाल्य बागची और न्यायमूर्ति सुव्रा घोष ने कहा,

"हड़ताल कर रहे वकीलों ने न केवल न्यायपालिका के प्रशासन को एक ठहराव में ला दिया है, बल्कि पुलिसकर्मियों को अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से भी रोक दिया है, जो कानून की नज़र में संज्ञेय अपराध है।"

ज़मानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने ये टिप्पणियां की, जिसमें पीठ को बताया गया था कि वकीलों की हड़ताल के कारण, पुलिसकर्मी अदालत परिसर में प्रवेश करने और मूल केस डायरी पेश करने में असमर्थ हैं।

हड़ताल की निंदा करते हुए अदालत ने हरीश उप्पल (पूर्व-कैप्टन) बनाम भारत संघ, (2003) 2 SCC 45 के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणियों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि वकीलों को हड़ताल पर जाने का कोई अधिकार नहीं है, यहां तक कि वकील बंद या हड़ताल का आह्वान भी नहीं कर सकते।

अदालत ने कहा,

"केवल दुर्लभ मामलों में जहां बार और / या बेंच की गरिमा, अखंडता और स्वतंत्रता दांव पर हो तब भी वकील काम से एक दिन से अधिक विरक्त नहीं रह सकते। ऐसा करने के लिए भी बार के अध्यक्ष को अदालत ने मुख्य न्यायाधीश या जिला न्यायाधीश से इस मामले में परामर्श और अनुमति लेनी होगी। "

अदालत ने आगे कहा कि कृष्णकांत ताम्रकार बनाम राज्य के राज्यमंत्री, (2018) 17 एससीसी 27 में फैसले के अनुसार हड़ताल करने और काम से दूर रहने का प्रस्ताव अवमानना है।

इस प्रकार पुलिस अधीक्षक, पश्चिम मेदिनीपुर को आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किए गए, ताकि पुलिस कर्मियों, वादियों, वकीलों और न्याय के प्रशासन में सभी हितधारकों को अदालत परिसर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा, अदालत ने कहा, इस संबंध में कोई भी बाधा संज्ञेय अपराध की श्रेणी का अपराध होगा और आरोपियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।


आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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