बूथ पर कब्जा और फर्जी मतदान कानून के शासन और लोकतंत्र को प्रभावित करता है; सख्ती से निपटा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

24 July 2021 4:16 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (23 जुलाई 2021) को एक फैसले में कहा कि बूथ कैप्चरिंग और फर्जी वोटिंग के मामलों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः कानून के शासन और लोकतंत्र को प्रभावित करता है।

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक हिस्सा है और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता आवश्यक है।

    पीठ ने कहा कि चुनावी प्रणाली का सार मतदाताओं को अपनी स्वतंत्र पसंद का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना होना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आरोपियों को आईपीसी की धारा 323 और 147 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई जाती है। आरोपी ने कथित तौर पर मतदाताओं की सूची छीनने और फर्जी मतदान करने के लिए एक गैरकानूनी एसेंबली का गठन किया और एक चुनाव के दौरान कुछ राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमला किया।

    अदालत ने उनकी अपीलों को खारिज करते हुए कहा कि एक बार गैरकानूनी एसेंबली सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में स्थापित होती है यानी वर्तमान मामले में मतदाताओं की सूची को छीनने और फर्जी मतदान करने के लिए गैरकानूनी एसेंबली का प्रत्येक सदस्य दंगा करने का अपराध के तहत दोषी है । कुछ लोग शब्दों से प्रोत्साहित कर सकते हैं, अन्य संकेतों से जबकि अन्य वास्तव में चोट पहुंचा सकते हैं और फिर भी गैरकानूनी एसेंबली के सभी सदस्य दंगों करने के समान रूप से दोषी होंगे।

    पीठ ने ट्रायल कोर्ट द्वारा केवल छह महीने के साधारण कारावास की सजा देने वाले उदार दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए कहा कि पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (सुप्रीम कोर्ट) के मामले में इस न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक हिस्सा है। आगे कहा गया है कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता आवश्यक है। यह आगे देखा गया है कि लोकसभा या राज्य विधानमंडल के प्रत्यक्ष चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक है और दुनिया भर के उन लोकतंत्रों में इस पर जोर दिया जाता है जहां यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यक्ष चुनाव शामिल हैं कि एक मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डालता है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का एक हिस्सा हैं। यह भी देखा गया है कि चुनाव एक तंत्र है जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। चुनाव प्रणाली का सार यह होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी स्वतंत्र पसंद का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो। इसलिए, बूथ कैप्चरिंग और/या फर्जी मतदान के मामलों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह कानून के शासन और लोकतंत्र को प्रभावित करता है। किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

    पीठ ने सजा में बदलाव नहीं किया क्योंकि राज्य ने अपील दायर नहीं की थी।

    केस: लक्ष्मण सिंह बनाम बिहार राज्य [CrA 606 of 2021]

    कोरम: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह

    CITATION: LL 2021 SC 319

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