बार काउंसिल ऑफ़ गुजरात ने ज़रूरतमंद वकीलों को 31 दिसंबर 2020 तक वैकल्पिक काम/व्यवसाय करने की अनुमति दी
LiveLaw News Network
22 Jun 2020 3:03 PM IST
अपने सदस्य वकीलों को राहत देते हुए बार काउंसिल ऑफ़ गुजरात ने लॉकडाउन की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसे ज़रूरतमंद वकीलों को जो आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे हैं, इस वर्ष के अंत तक कोई वैकल्पिक काम/व्यवसाय करने की छूट दे दी है।
राज्य बार काउन्सिल ने रविवार को एक प्रस्ताव पारित कर एडवोकेट अधिनियम की धारा 35 में तात्कालिक छूट देने का फ़ैसला किया है। यह अधिनियम लाइसेन्सधारी प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को क़ानूनी प्रैक्टिस के अलावा कोई और काम करने से रोकता है।
प्रस्ताव में कहा गया है,
"रविवार को हुई बैठक में 75,000 से अधिक ऐसे वकीलों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई जो मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं और कई लोगों की स्थिति तो ऐसी है कि वे अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को भी नहीं निभा सकते। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे ज़रूरतमंद वक़ील जिनके पास सनद है, पेशे की गरिमा को ध्यान में रखते हुए अपनी आर्थिक स्थायित्व के लिए ऐसा कोई भी वैकल्पिक काम/व्यवसाय कर सकते हैं। ऐसे वकीलों को एडवोकेट अधिनियम की धारा 35 के तहत 31 दिसंबर 2020 तक इसकी अनुमति होगी।"
बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया की अनुमति मिलने के बाद यह प्रस्ताव लागू हो जाएगा।
महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सिर्फ़ उन्हीं वकीलों को इस छूट का लाभ मिलेगा जो COVID 19 महामारी के कारण अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर पा रहे हैं।
काउंसिल ने एडवोकेट कल्याण कोष के नवीनीकरण के लिए ₹250 की फ़ीस, जो 1 सितम्बर 2020 को देय है, को भी माफ़ करने का फ़ैसला किया है। काउंसिल ने ऐसे वकीलों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने का फ़ैसला किया है जो सोशल मीडिया पर बार काउंसिल या उसके अन्य चुने हुए सदस्यों के ख़िलाफ़ लिखते हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है,
"अपने पेशेगत आचार से पथभ्रष्ट होनेवाले ऐसे वकीलों के ख़िलाफ़ काउंसिल नोटिस जारी करेगा।"
काउंसिल ने आगे कहा कि उसने मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वह तालुक़ा और ज़िला अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से काम शुरू कर दें। उन्हें आश्वासन दिया गया है कि उन क्षेत्रों में महामारी की स्थिति की समीक्षा के बाद इस पर ग़ौर किया जाएगा।