अयोध्या विवाद की सुनवाई के दूसरे दिन सुप्रीमकोर्ट में यह हुआ, मूल दस्तावेज न दिखाए जाने से बेंच नाराज़

LiveLaw News Network

7 Aug 2019 2:42 PM GMT

  • अयोध्या विवाद की सुनवाई के दूसरे दिन सुप्रीमकोर्ट में यह हुआ, मूल दस्तावेज न दिखाए जाने से बेंच नाराज़

    जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने पूछा कि क्या इस तरह जन्म स्थान पर सवाल दुनिया में कहीं भी उठाया गया है? क्या ऐसा सवाल किसी अन्य धर्म के ईश्वर को लेकर या यीशु का जन्म बेथलहम है, इस पर दु्निया की किसी भी अदालत में कभी उठा है?

    अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई के दूसरे दिन बुधवार को निर्मोही अखाड़ा से संविधान पीठ ने कई सवाल पूछे। इस दौरान बेंच ने मूल दस्तावेज अखाड़ा के वकील से स्वामित्व के मूल दस्तावेज दिखाने की बात कही।

    "भूमि पर स्वामित्व साबित करने के लिए मूल दस्तावेज रखे जाएं"

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अखाड़ा के वकील से यह कहा कि वो पीठ के सामने अदालत के फैसले को नहीं बल्कि स्वामित्व के मूल दस्तावेज रखें जो साबित करें कि वो ही भूमि का हकदार है। दस्तावेजों से साबित करें कि वो विवादित भूमि के मालिक है।

    'अखाड़ा' पक्ष की ओर से मूल दस्तावेज न दिखाए जाने से पीठ हुई नाराज

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबड़े, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान हालांकि अखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने कहा कि वर्ष 1982 में हुई डकैती में कई कागजात चले गए हैं। केवल कुछ दस्तावेज उपलब्ध हैं और इसे अदालत को दिखाया जाएगा। लेकिन पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहले वो मूल दस्तावेज दें फिर उनकी सुनवाई होगी। दरअसल अदालत में सुशील कुमार जैन, कोर्ट के फैसले को पढ़ रहे थे लेकिन पीठ ने कहा कि उन्हें दस्तावेज देखने हैं।

    'राम लला विराजमान' पक्ष की ओर से रखा गया तर्क

    इसके बाद राम लला विराजमान की ओर से बहस करते हुए पूर्व AG के. परासरन ने कहा कि भगवान राम में लाखों लोगों की अटूट आस्था ही इसका प्रमाण है कि वह राम जन्मभूमि है। पूरा इलाका ही राम जन्मभूमि है। उन्होंने रामायण, महाराभारत और अन्य पुराणों के आधार पर जानकारी सामने रखी।

    जस्टिस बोबडे ने पूछा, "क्या ऐसा सवाल कहीं और उठाया गया है"

    हालांकि इस दौरान पीठ में शामिल जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने पूछा कि क्या इस तरह जन्म स्थान पर सवाल दुनिया में कहीं भी उठाया गया है? क्या ऐसा सवाल किसी अन्य धर्म के ईश्वर को लेकर या यीशु का जन्म बेथलहम है, इस पर दु्निया की किसी भी अदालत में कभी उठा है?

    इस पर के. परासरन ने कहा कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है। वो इसकी जानकारी हासिल कर पीठ को बताएंगे।अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन पर रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के बीच विवाद पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।

    'अखाड़ा' पक्ष ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर जताया था अपना हक

    दरअसल मंगलवार को हुई सुनवाई में निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलीलें रखते हुए वरिष्ठ वकील सु़शील कुमार जैन ने दावा किया था कि विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर अखाड़ा का हक है। सैंकड़ों सालों से अखाड़ा ही मन्दिर का सरंक्षक रहा है और इसका प्रबंधन करता आ रहा है। वर्ष 1934 से राम जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में मुस्लिमों ने नमाज़ अदा करना बंद कर दिया था। 16 दिसम्बर 1949 से जुमे की साप्ताहिक नमाज भी अदा करना बंद हो गया।

    'अखाड़ा' पक्ष की दलील

    उन्होंने दलील दी कि हिंदुओं ने वर्ष 1850 में पूजा करने के अधिकार को लागू करने की कोशिश की थी लेकिन अंग्रेजों के फूट डालने की नीति के चलते ये नहीं हो सका। वर्ष 1989 में पूजा का अधिकार देने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। वर्ष 1853, 1885 में और फिर वर्ष 1934 में संपत्ति पर कब्जा करने के लिए दंगे हुए थे। जैन ने कहा कि उसकी जमीन को रिसीवर से लेकर वापस किया जाना चाहिए।

    विवाद को लेकर कोर्ट में लंबित हैं 18 याचिकाएं

    दरअसल इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 18 याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में वे याचिकाएं भी शामिल हैं जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला पक्षों के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश को चुनौती दी गई है।

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