अगर किसी असेसी का पता बदल गया है तो उसे अपने पैन में इसका सुधार कर लेना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

24 Oct 2019 4:16 AM GMT

  • अगर किसी असेसी का पता बदल गया है तो उसे अपने पैन में इसका सुधार कर लेना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    न्यायमूर्ति यूयू ललित, इंदिरा बनर्जी और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न में सिर्फ नए पता का जिक्र कर देना और आकलनकर्ता अधिकारी को इसकी जानकारी नहीं देना और पैन डेटाबेस में इसे सुधार नहीं करवाना पर्याप्त नहीं है।

    प्रधान आयकर आयुक्त, मुंबई बनाम मै. आई-वेन इंटरैक्टिव लि. के इस मामले में असेसी कंपनी ने ई-मोड्यूल योजना के तहत अपना आयकर रिटर्न भरा। आकलनकर्ता अधिकारी ने आयकर अधिनियम की धारा 143(2) के तहत उसको उस पते पर नोटिस भेजा जो पैन में था।

    इन नोटिसों को इस आधार पर चुनौती दी गई कि असेसी को नोटिस जारी नहीं किया गया और कंपनी को यह नोटिस नहीं मिला और बाद में उसे जब यह नोटिस मिला तो उस समय तक धारा 143 के तहत दी गई अवधि समाप्त हो गई थी। बाद में सीआईटी (अपील), आईटीएटी और बाद में हाईकोर्ट ने असेसी के दावे का समर्थन किया।

    राजस्व विभाग द्वारा दाखिल की गई अपील पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि चूंकि आकलनकर्ता अधिकारी को पते में किसी भी तरह के परिवर्तन की सूचना नहीं दी गई थी इसलिए उसने पैन डेटाबेस में उपलब्ध पते पर नोटिस भेजा।

    पीठ ने कहा,

    "यह नहीं कहा जा सकता कि आकलनकर्ता अधिकारी ने कोई गलती की है...एक बार जब 143(2) के अनुसार नोटिस निर्धारित अवधि के अन्दर जारी कर दिया गया तो फिर यह पर्याप्त है और यह कि धारा 143(2) की शर्तों का पालन किया गया है और इसलिए असेसी को बाद में जो नोटिस जारी किये गए उसका कोई अर्थ नहीं है।"

    अदालत ने आगे कहा कि सिर्फ आयकर रिटर्न में नया पता की जानकारी दे देना और आकलनकर्ता अधिकारी को इसकी सूचना नहीं देना और पैन में इसको नहीं बदलवाना पर्याप्त नहीं है।

    अदालत ने इस अपील को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया आर कहा,

    "पता/असेसी के नाम में बदलाव के बारे में आकलनकर्ता अधिकारी को किसी भी तरह की सूचना के अभाव में आकलनकर्ता अधिकारी पैन डेटाबेस में उपलब्ध पते पर अगर नोटिस भेजता है तो यह उचित है विशेषकर तब जब आयकर रिटर्न ई-मोड्यूल योजना के तहत दायर किया गया है।

    यह गौर करने की बात है कि धारा 143(2) के तहत जो नोटिस जारी किया जाता है उसके लिए पता का चुनाव पैन डेटाबेस से विभाग की स्वचालित व्यवस्था के तहत खुद-ब-खुद होता है. इसलिए अगर पता में किसी भी तरह का बदलाव हुआ है तो पैन डेटाबेस में इसको बदलवाना बहुत ही आवश्यक है भले ही वह कंपनी के नाम में बदलाव हो या उसके पंजीकृत पते में या कॉर्पोरेट पते में इसकी जानकारी उचित फॉर्मेट में रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनी को दी जानी चाहिए।"

    इस औपचारिकता को पूरी करने के बाद असेसी इस दस्तावेज की एक की एक कॉपी के साथ पैन में इस बदलाव का आवेदन कर सकता है. पर वर्त्तमान मामले में असेसी ऐसा करने में विफल रहा है।

    फैसले की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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