डेंगू से मरने वाले युवा वकील के निकट संबंधी को 25 लाख मुआवजा देने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, जारी किए आम निर्देश

LiveLaw News Network

26 Nov 2019 8:15 AM GMT

  • डेंगू से मरने वाले युवा वकील के निकट संबंधी को 25 लाख मुआवजा देने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, जारी किए आम निर्देश

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ता वकील को 25 लाख का मुआवजा दिये जाने का आदेश दिया। इस वकील के बेटे की राज्य के सबसे पुराने एसआरएन मेडिकल कॉलेज में डेंगू के इलाज में हुई लापरवाही के कारण मौत हो गई।

    इस बारे में याचिकाकर्ता वकील बीपी मिश्र के पत्र को जनहित याचिका मानते हुए न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल और पीयूष अग्रवाल ने कहा,

    "एसआरएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की घोर लापरवाही और मामले की विचित्र परिस्थिति और तथ्यों के कारण इस अदालत में प्रैक्टिस करने वाले एक वकील के जवान बेटे की मौत हो गई। हम इस वकील को आज से छः सप्ताह के भीतर 25 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश देते हैं, यह भुगतान जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से किया जाएगा।"

    याचिकाकर्ता वकील पीयूष मिश्र के बेटे को एसआरएन मेडिकल कॉलेज में 2016 में भर्ती कराया गया था जहां पर गलती से डॉक्टरों ने यह कहा कि उसे वायरल बुखार हो गया है और उसे एंटीबायोटिक का डोज दिया, लेकिन बाद में यह पाया गया कि उसे डेंगू हुआ था और एंटीबायोटिक नहीं दिया जाना चाहिए था।

    अदालत ने कहा,

    "एसआरएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने गलत इलाज किया और उन्होंने मरीज को 'ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक' दिया जो डेंगू होने की स्थिति में नहीं दिया जाता है। राज्य सरकार ने अपने निर्देश में साफ़ कहा है कि डेंगू से ग्रस्त मरीज को एंटीबायोटिक नहीं दिया जाना चाहिए।"

    इलाहाबाद में डेगू के बढ़ाते मामले को देखते हुए अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने इसको रोकने के लिए कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया है। उत्तर प्रदेश मलेरिया, डेंगू, काला-अजार और वेक्टर बोर्न बीमारी विनियमन, 2016 में जो बातें कही गई हैं, उनका पालन नहीं हुआ है।

    यह बताते हुए कि वेक्टर बोर्न बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती, लेकिन इनका फैलना यह दिखाता है कि इसकी रोकथाम के लिए अधिकारियों ने पर्याप्त कदम नहीं उठाये हैं।

    अदालत ने अपने निर्देश में कहा,

    राज्य के सभी जिला मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे की विनियमन 2016 और डेंगू-चिकनगुनिया रोकथाम योजना 2016-17 में जो बातें कही गई हैं उनका सख्ती से पालन हो।

    डेंगू और चिकनगुनिया मरीजों की जांच के लिए जो सेंटिनल सर्वेलेंस हॉस्पिटल लैब बनाए गए हैं। वह मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व और जिला मजिस्ट्रेट की वृहत्तर देखरेख में में प्रभावी रूप से काम करें।

    डेंगू मरीजों को रक्त और प्लेटलेट की आपूर्ति के लिए स्थापित ब्लड सेपरेशन यूनिट को राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप प्रभावी तरीकों से काम करना चाहिए।

    एसआरएन मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस की सुविधा के अभाव को देखते हुए अदालत ने राज्य सरकार को इस अस्पताल और राज्य के अन्य अस्पतालों में इस सुविधा की उपलब्धता के लिए पर्याप्त राशि देने को कहा।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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