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व्यावसायिक मामलों में दस्तावेज की स्वीकृति/अस्वीकृति के लिए हलफनामा 45 दिनों में ही दायर किये जाएं : दिल्ली हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
4 Nov 2019 5:02 AM GMT
व्यावसायिक मामलों में दस्तावेज की स्वीकृति/अस्वीकृति के लिए हलफनामा 45 दिनों में ही दायर किये जाएं : दिल्ली हाईकोर्ट
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी दस्तावेज की स्वीकृति/अस्वीकृति के लिए हलफनामा दायर करने की समय सीमा 45 दिन है और इसका आवश्यक रूप से पालन किया जाना चाहिए।

वर्तमान आवेदन में याचिकाकर्ता ने संयुक्त रजिस्ट्रार के आदेश को चुनौती दी थी जिसने 45 दिन की सीमा के समाप्त हो जाने के बाद याचिकाकर्ता को दस्तावेजों की स्वीकृति/अस्वीकृति के बारे में हलफनामा दायर करने की अनुमति देने से मना कर दिया था।

याचिकाकर्ता कंपनी ने दलील दी थी कि उसने देरी होने के जो कारण दिए थे, संयुक्त रजिस्ट्रार ने उन कारणों पर गौर नहीं किया और जल्दबाजी में आदेश पास किया।

जहां तक की क़ानून की बात है, उसने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट (मूल साइड नियम), 2018 के अध्याय 1 के नियम 14 और 16 के अनुसार, रजिस्ट्रार के लिए दस्तावेज जमा करने को लेकर समय सीमा को बनाए रखना जरूरी नहीं है।

याचिकाकर्ता ने जैनसंस एक्सपोर्ट इंडिया बनाम बिनाटोन इलेक्ट्रोनिक्स लि. 58 (1995) DLT 571 मामले का भी हवाला दिया और कहा कि अदालत का अधिकार किसी भी नियम से बंधा नहीं है। उसने दलील दी कि नियम का उद्देश्य न्याय को बढ़ावा देना है, उसको निष्फल करना नहीं।

प्रतिवादी कंपनी एनबीसीसी ने अपनी दलील में कहा कि चूंकि अध्याय II के नियम 5 में जो शब्द प्रयुक्त हुआ है वह है "इसके बाद नहीं" और यह अधिकारी को इसके बाद दुबारा आवेदन और हलफनामा दायर करने के लिए 45 दिन की समय सीमा समाप्त होने के बाद और समय देने से रोकता है।

अदालत का फैसला

याचिकाकर्ता को किसी भी तरह का राहत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति कामेश्वर राव ने कहा कि नियम 14 और 16 नियम 5 में "इसके बाद नहीं" वाक्य के अर्थ को बदल नहीं सकता है।

अदालत ने कहा कि पक्षकारों के आवेदनों में साम्य होने के लिए यह जरूरी है कि दस्तावेजों की स्वीकृति/अस्वीकृति के लिए दोबारा आवेदन देने या हलफनामा दायर करने के लिए 30 + 15 दिनों की समय सीमा अनिवार्य है।



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