अदानी पोर्ट ट्रस्ट ने जेएनपीए टेंडर में अयोग्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

Brij Nandan

28 Jun 2022 7:47 AM GMT

  • अदानी पोर्ट ट्रस्ट ने जेएनपीए टेंडर में अयोग्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

    अदानी पोर्ट ट्रस्ट (Adani Port) और स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA)) के न्यासी बोर्ड द्वारा नवी मुंबई में कंटेनर टर्मिनल के उन्नयन के लिए निविदा में अयोग्यता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज के बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के आदेश से असंतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है।

    एसएलपी का उल्लेख सीनियर एडवोकेट एएम सिंघवी ने मंगलवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष किया।

    पीठ से मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए सीनियर एडवोकेट ने प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट ने अयोग्यता को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दिया है और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी अन्य बोलियों को आमंत्रित करने के लिए आगे बढ़ रही है।

    उन्होंने पीठ से पोर्ट अथॉरिटी को बोलियों के साथ आगे बढ़ने से रोकने के लिए यथास्थिति प्रदान करने का भी आग्रह किया।

    सिंघवी ने प्रस्तुत किया,

    "मैं भारत का प्रमुख बंदरगाह प्रबंधक हूं और दिसंबर 2021 की शुरुआत में पोर्ट ट्रस्ट बोली को मंजूरी दे दी है और मुझे 4 महीने बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अयोग्यता को मेरे द्वारा चुनौती दी गई थी और आज सुबह वे मुझे अन्य बोलियां बुलाने की धमकी दे रहे हैं। कल तक वे इसमें आगे नहीं बढ़ें। अनुबंध की प्रकृति सार्वजनिक बोलियों के माध्यम से जेएलएन टर्मिनल का संचालन और रखरखाव है।"

    सीनियर एडवोकेट की दलीलों पर विचार करते हुए पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता को अवकाश अधिकारी के समक्ष याचिका का उल्लेख करने को कहा।

    पीठ ने टिप्पणी की,

    "हमारी कठिनाई यह है कि इससे पहले कि हम मामले का फैसला करें, एक प्रक्रिया निर्धारित है। अवकाश अधिकारी के सामने उल्लेख करें, वह अत्यावश्यकता की जांच करेगा और फिर यह रजिस्ट्रार के पास जाएगा और यदि ऐसा नहीं होता है तो हमारे सामने इसका उल्लेख करें।"

    सिंघवी ने कहा,

    "यौर लॉर्डशिप के निर्देश को रजिस्ट्री द्वारा सीमित नहीं किया जा सकता है।"

    जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया,

    "हमने कल एक अपवाद बनाया, मामले को सूचीबद्ध करने का आदेश पारित किया। लेकिन रजिस्ट्री ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किया। हम और कुछ नहीं कहना चाहते।"

    पीठ को और समझाने के अपने प्रयास में सीनियर वकील ने कहा, "हाईकोर्ट द्वारा कल आदेश आया है और कल उन्हें अपना हाथ थामने दें। कृपया रजिस्ट्री के अधीन एक आदेश पारित करें, हम रजिस्ट्रार को भी संतुष्ट करेंगे। यहां तक कि पोर्ट ट्रस्ट प्रतिनिधि भी यहां है। चेतावनी पर कृपया उन्हें आदेश दें कि वे निर्णय पर आगे न बढ़ें।"

    जस्टिस कांत ने कहा,

    "देखते हैं अवकाश अधिकारी और रजिस्ट्रार की क्या राय है।"

    हाईकोर्ट के समक्ष अदानी ने जेएनपीए की अयोग्यता को "अवैध और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन" करार दिया था। इसने बोर्ड को उच्चतम बोली लगाने वाले की घोषणा करने या याचिका की सुनवाई के दौरान किसी अन्य बोली लगाने वाले के साथ रियायत समझौते पर हस्ताक्षर करने से रोकने के निर्देश देने की मांग की थी।

    अडानी ने पत्र के सर्कुलेशन और कार्यान्वयन पर रोक के बाद निविदा प्रक्रिया के प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) चरण में भाग लेने की अनुमति देने के निर्देश मांगे हैं।

    हाईकोर्ट के समक्ष, जेएनपीए ने इस आधार पर इसे खारिज करने की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया कि अदालत के पास "राज्य की वर्तमान आर्थिक गतिविधियों के नियमों और शर्तों" की जांच करने की विशेषज्ञता नहीं है। इसलिए वह हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

    चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने याचिका खारिज कर दी थी और 5 लाख का जुर्माना लगाया था।

    Next Story