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देश के 5 लॉ स्कूल एनआरसी की सूची से निकाल दिए गए लोगों की करेंगे क़ानूनी मदद

असम में एनआरसी से बाहर हुए लोगों की क़ानूनी मदद के लिए एक बहुत ही अहम हस्तक्षेप के तहत पाँच राष्ट्रीय क़ानून विश्वविद्यालय (एनएलयू) ने हाथ मिलाया है। इसके लिए इन संस्थानों ने परिचय नामक क़ानूनी सहायता संगठन बनाया है। परिचय ऐसे वकीलों को अपील की ड्राफ़्ट बनाने से लेकर शोध और अध्ययन से मदद करेगा जो एनआरसी से बाहर किए गए लोगों की ओर से अदालत में अपील दायर करेंगे।
एनआरसी की अंतिम सूची से 19 लाख लोग बाहर कर दिए गए हैं। इसकी अंतिम सूची का 31 अगस्त को जारी की गयी थी और सूची से बाहर किए गए लोगों के लिए विदेशियों के लिए बने ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील एकमात्र रास्ता बचा है और यह अपील सूची में शामिल नहीं होने की सूचना प्राप्त करने के 120 दिनों के भीतर दायर करनी होगी। सबसे अहम बात यह है कि जिन 19,06657 लोगों को सूची से बाहर कर दिया गया है उनमें से अधिकांश ग़रीब तबके से आते हैं और वे अपने बूते पर ट्रिब्यूनल में अपील करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे में परिचय उनके लिए बड़ी राहत होगी।
5 संस्थानों ने मिलकर की परिचय की स्थापना
परिचय की स्थापना के लिए जिन संस्थानों ने हाथ मिलाया है वे हैं नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एंड जुडीशियल अकैडमी, असम, वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ जुडीशियल साइंस, कोलकाता, नलसार हैदराबाद, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा शामिल हैं। अन्य क़ानून विश्वविद्यालय भी परिचय के साथ जुड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
परिचय की स्थापना के बारे में एनएलयूजेएए के वाइस चांसलर प्रो. जेएस पाटिल ने कहा,
"भारत में क़ानून के विद्यालयों का इस कार्य के लिए साथ आना बहुत ही अप्रत्याशित घटना है और मैं समझता हूँ कि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि कोई भी क़ानूनी प्रतिनिधित्व के अधिकार से वंचित न हो"।
एनएएलएसएआर (नलसार) के वीसी प्रो. फ़ैज़ान मुस्तफ़ा ने परिचय के बारे में कहा, "एनआरसी के बाद अगर लोगों को क़ानूनी मदद नहीं मिला तो इसका परिणाम यह होगा कि बहुत सारे लोग उचित प्रक्रिया के बिना ही राज्यविहीन हो जाएँगे। परिचय जैसी पहल इस तरह के मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए ज़रूरी है"।
एनयूजेएस के वीसी डॉक्टर एनके चक्रवर्ती ने कहा, "वैसे तो असम सरकार ने कहा है कि सभी लोगों को क़ानूनी मदद उपलब्ध कराई जाएगी, कार्य की व्यापकता को देखते हुए यह ज़रूरी है कि विधि संस्थान और सिविल सोसायटी इसमें शरीक हों"।
परिचय को संभव बनानेवालों में एनएलयू-डी में सहायक प्राध्यापक अनूप सुरेंद्रनाथ, जेजीएलएस में सहायक प्राध्यापक एम मोहसिन आलम भट और कोलकाता के वक़ील और शोधकर्ता दर्शन मित्रा शामिल हैं। परिचय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि परिचय का मुख्यालय गुवाहाटी में होगा और यह देश भर के छात्रों और स्वयंसेवकों के सहयोग से काम करेगा।
परिचय वकीलों को अपील की ड्राफ़्टिंग, क़ानून के ज़रूरी प्रश्नों पर शोध कार्य, वकीलों और पैरालीगल कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने में मदद करेगा। क़ानून के छात्र वकीलों के साथ काम करेंगे ताकि वे विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष प्रभावी अपील दायर कर सकें।
इस समय, छात्रों से आवेदन मँगाए गए हैं ताकि शोध और ड्राफ़्टिंग के लिए चुनिंदा लोगों की एक कोर टीम बनाई जा सके और स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं का दल तैयार किया जा सके। ट्रिब्यूनल में अपील अक्टूबर के मध्य से शुरू हो जाएगा। टीम को ज़रूरी फ़ंड साथ आनेवाले विधि संस्थान अपने क़ानूनी मदद की बजट से उपलब्ध कराएँगे।
परिचय एनआरसी की प्रक्रिया का दस्तावेजीकरण भी करेगा और वह नीतिगत सुझाव देगा जो देश में नागरिकता क़ानून पर क़ानूनी और नीतिगत विमर्श में सहयोग देगा। इस पर अपनी टिप्पणी में एनएलयू-डी के वीसी प्रो. रणबीर सिंह ने कहा,
"विश्वविद्यालय होने के कारण हमारे पास संसाधन और नेटवर्क हैं जिसका प्रयोग संविधान और सार्वजनिक क़ानून पर विधिशास्त्र के निर्माण के लिए किया जा सकता है जिससे इस समय देश जूझ रहा है, कि भारतीय नागरिक कौन है"।
एनएलयू-ओ के वीसी प्रो. श्रीकृष्ण देव राव ने कहा,
"नागरिकता राज्य की नज़र में एक व्यक्तिगत पहचान देता है और उन्हें अन्य मानवाधिकारों का लाभ उठाने की अनुमति देता है। नागरिकता से वंचित होना, इसलिए, लोगों को मानव अधिकारों से और ज़्यादा वंचित करेगा"।