21 विपक्षी पार्टियों ने SC में कहा, चुनाव की निष्पक्षता के लिए परिणाम में 6 दिनों की देरी भी सही

Live Law Hindi

8 April 2019 10:52 AM IST

  • 21 विपक्षी पार्टियों ने SC में कहा, चुनाव की निष्पक्षता के लिए परिणाम में 6 दिनों की देरी भी सही

    लोकसभा चुनाव में 50 प्रतिशत VVPAT सत्यापन की मांग वाली याचिका पर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि EVM से VVPAT पर्ची के 50 फीसदी मिलान से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी और ऐसे में अगर चुनाव परिणाम की घोषणा में 6 दिनों की देरी होती है तो वो भी उन्हें मंजूर है।

    चुनाव आयोग द्वारा दाखिल हलफनामे के जवाब में हलफनामा दाखिल करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू व 20 अन्य पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि चुनाव आयोग ने जो गिनती का आंकड़ा दिया है वो एक बूथ पर मिलान के लिए एक कर्मचारी के हिसाब से दिया है।

    देरी से जुड़े कुछ आंकड़े
    अगर चुनाव आयोग वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती के लिए तैनात एक और कर्मचारी को बढ़ा देता है तो 50 प्रतिशत मतगणना में 2.6 दिनों की देरी होगी जबकि 33 प्रतिशत मिलान से 1.8 दिनों में परिणाम में देरी होगी और अगर 25 प्रतिशत मिलान होता है तो चुनाव परिणाम में 1.3 दिनों की देरी होगी।

    हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत EVM में VVPAT का प्रावधान किया है और यदि अब भी एक विधानसभा क्षेत्र में एक बूथ पर ही औचक मिलान की व्यवस्था जारी रहती है तो ये चुनाव की निष्पक्षता और EVM की दक्षता को कमजोर करेगी।

    विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया है कि वो EVM की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि उनका प्रयास मौजूदा व्यवस्था में मतदाता का विश्वास सुनिश्चित करना है।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ अब सोमवार को इस मामले में सुनवाई करेगी। दरअसल 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 1 हफ्ते में चुनाव आयोग के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने को कहा था।

    मतगणना के लिए आवश्यक समय बढ़ जाएगा

    इससे पहले चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी वोटर वेरिफिकेशन पेपर ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्ची सत्यापन संभव नहीं है क्योंकि इससे मतगणना के लिए आवश्यक समय को 6 से 9 दिनों के लिए बढ़ाना पड़ जाएगा।

    आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और 20 अन्य राजनीतिक नेताओं द्वारा दायर याचिका के जवाब में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि पर्ची सत्यापन के लिए एक बड़े नमूने को लेने के लिए EVM को और भी दुरुस्त करना होगा।

    यह उल्लेख करना अधिक प्रासंगिक है कि कोई भी गणना मानवीय त्रुटियों या जानबूझकर शरारत करने के लिए प्रवृत्त होती है और किसी भी बड़े पैमाने पर पर्ची सत्यापन के जरिये मतगणना से मानवीय त्रुटि और शरारत की संभावना कम हो जाती है।

    कैसे काम करता है वीवीपीएटी१
    वीवीपीएटी के तहत एक प्रिंटर बैलेटिंग यूनिट से जुड़ा होता है और उसे वोटिंग कंपार्टमेंट में रखा जाता है। मतदाता के इकाई पर बटन दबाने के बाद मतदाता वीवीपीएटी पर मुद्रित पर्ची को देखने की खिड़की के माध्यम से देख सकता है और इस प्रकार ये सत्यापित कर सकता है कि वोट उसकी पसंद के उम्मीदवार के लिए ही रिकॉर्ड किया गया है। पारदर्शी खिड़की के माध्यम से सात (7) सेकंड के लिए वीवीपीएटी पर पेपर स्लिप दिखाई देती है।

    चुनाव आयोग ने बताया कि 1628 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 21 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में वर्ष 2013 से अब तक आयोग द्वारा VVPAT का उपयोग किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान केवल 1 बार एक मतदाता ने यह आरोप लगाया है कि उसका वोट उसके द्वारा चयनित उम्मीदवार के पास नहीं गया।

    न्यायालय के इस सुझाव पर कि आयोग को सुधारों को स्वीकार करने के लिए खुला होना चाहिए, चुनाव आयोग ने कहा कि यह हमेशा किसी भी सुधार को लाने के लिए खुला है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का कारण बनेगा। जहां तक ये सभी मामले हैं जिन्हें आयोग ने स्वयं लागू किया है और उचित अध्ययन और परीक्षण के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान में अपनाई गई विधि सबसे अधिक उपयुक्त है।

    यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि बढ़े हुए VVPAT स्लिप काउंटिंग के लिए क्षेत्र में चुनाव अधिकारियों के व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी और इस तरह के अधिकारियों को क्षेत्र में तैनाती के लिए पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता होगी। यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में, 400 से अधिक मतदान केंद्र हैं, जिनमें वीवीपीएटी स्लिप गणना को पूरा करने के लिए लगभग 8-9 दिनों की आवश्यकता होगी।

    आगे जब चुनाव आसन्न हैं और मतदान 11 अप्रैल, 2019 से शुरू होना है, तो अब इस चरण में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई व्यवस्था को बदलना संभव नहीं है और इसे भविष्य के चुनावों के लिए ही माना जा सकता है। वर्तमान प्रणाली को सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन और विचार के बाद अपनाया गया है और सभी सुरक्षा उपायों और जांच को ध्यान में रखते हुए आवश्यक भी समझा गया है।

    यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और सच्चे और निष्पक्ष चुनाव के लिए विशेषज्ञों के माध्यम से पर्याप्त अध्ययन करने के बाद वर्तमान पद्धति को अपनाया गया है।

    आयोग के मुताबिक भारतीय सांख्यिकी संस्थान की रिपोर्ट बताती है कि कुल 10.35 लाख मशीनों में से 479 EVM और VVPATs के सैंपल वेरिफिकेशन से मिलान 99.9936% तक पहुंच जाएगा। लेकिन आयोग, अप्रैल-मई के लोकसभा चुनावों का नमूना सत्यापन 4,125 ईवीएम और वीवीपीएटी को कवर करेगा। आयोग ने कहा कि यह संख्या भारतीय सांख्यिकी संस्थान की रिपोर्ट में मौजूद नमूना आकार का 8.6 गुना है।

    Next Story