वर्ष 2008 मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी और भोपाल से बीजेपी की मौजूदा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुंबई में स्पेशल एनआईए कोर्ट में शुक्रवार दोपहर करीब 12:45 बजे पेश हुईं। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वह अदालत की पिछली सुनवाई में अनुपस्थित रही थीं। विशेष एनआईए अदालत फिलहाल मामले के सभी गवाहों की गवाही दर्ज कर रही है।
विशेष जज वी. एस. पडलकर ने धारा 313 (1) (ए) के तहत गवाही के लिए ठाकुर को बुलाया और पूछा:
कोर्ट: "क्या आप जानती हैं कि अभियोजन पक्ष ने कितने गवाहों की जांच की है? क्या आपके वकील ने आपको यह बताया है?"
प्रज्ञा ठाकुर: नहीं, मुझे नहीं पता।
कोर्ट: 116 गवाहों की जांच की गई और यह स्थापित हो गया कि विस्फोट हुआ था। मैं आपसे यह नहीं पूछ रहा हूं कि यह किसने किया। क्या आप जानती हैं कि 29 सितंबर, 2008 को यह विस्फोट हुआ था?
प्रज्ञा ठाकुर: नहीं, मुझे नहीं पता।
इस जांच के दौरान प्रज्ञा ठाकुर को सीट की पेशकश किये जाने के बावजूद भी वे खड़ी रहीं। उनके समर्थकों ने आरोपियों के लिए बनाई गई बेंच पर लाल मखमल का कपड़ा भी रख दिया था लेकिन उन्होंने वहां बैठने से मना कर दिया।
प्रज्ञा ठाकुर ने की कुर्सी के गंदी होने की शिकायत
जब मामले की सुनवाई खत्म हो गई और जज पडलकर कोर्टरूम से चले गए तो नवनिर्वाचित सांसद ने यह आवाज उठाई और कहा कि उन्हें दी गई कुर्सी गंदी थी। उन्होंने कहा कि उनको उचित कुर्सी प्रदान की जानी चाहिए थी और जब तक वह दोषी साबित न हो जाए, तब तक उन्हें आराम से बैठने का पूरा अधिकार है।
अदालत में पेश होने से छूट की मांग को किया गया था अस्वीकार
सोमवार को विशेष अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर के उस आवेदन को खारिज कर दिया था जिसमें उनके द्वारा इस सप्ताह अदालत में पेश होने से छूट की मांग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि उन्हें सांसद के चुनाव से संबंधित कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता है लेकिन अदालत ने कहा कि इस मामले में उनकी उपस्थिति आवश्यक है।
प्रज्ञा के वकील प्रशांत मागू ने अदालत को यह बताया था कि वह उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं और भोपाल से मुंबई की यात्रा करने में असमर्थ हैं। अदालत ने उन्हें छूट दी लेकिन उन्हें शुक्रवार को पेश होने के निर्देश देते हुए परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
प्रज्ञा ठाकुर पर क्या हैं आरोप?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने महाराष्ट्र एटीएस से वर्ष 2011 में जांच अपने हाथ में लेने के बाद अपने आरोप पत्र में प्रज्ञा के खिलाफ कड़े महाराष्ट्र नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत लगी धाराएं हटा दी थी।
एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में अंतर
एटीएस ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि विस्फोट में प्रज्ञा की मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया था। सबूतों की कमी का हवाला देते हुए NIA ने अपनी चार्जशीट में इसका खंडन किया। इसके बजाए कहा गया कि हालांकि बाइक उनके नाम पर थी लेकिन इसका इस्तेमाल एक आरोपी द्वारा किया गया जो फरार है।
विशेष एनआईए कोर्ट द्वारा लगाए गए आरोप
हालांकि विशेष एनआईए कोर्ट ने प्रज्ञा और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से गंभीर चोट पहुंचाने, विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और आपराधिक साजिश की सजा का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत अभियुक्तों पर धारा 3 ( जान या संपत्ति को खतरे में डालने के लिए विस्फोट करने की सजा), धारा 4 (विस्फोट का प्रयास करने की सजा), धारा 5 (संदिग्ध परिस्थितियों में विस्फोटक रखने या रखने की सजा) के तहत आरोप लगाए गए हैं। विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 6 ( उकसाने की सजा) और शस्त्र अधिनियम की प्रासंगिक धाराएं भी उनपर लगाई गई हैं।
हाईकोर्ट ने हटाई थी मकोका की धारा
25 अप्रैल 2017 को वर्ष 2008 के मालेगांव धमाका केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल गई थी। हाईकोर्ट ने प्रज्ञा पर लगाई गई मकोका धारा को भी हटा दिया था। जिसके बाद मकोका के तहत जुटाए गए सबूत भी केस से निकाल दिए गए थे।
हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तें
हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपए की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट NIA को जमा कराने और साथ ही ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे। पीठ ने उन्हें सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जब भी जरूरत हो तब एनआईए अदालत में रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पहली नजर में साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। वर्ष 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था। प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे। साध्वी और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को वर्ष 2008 में गिरफ्तार किया गया था।