अतीक अहमद के कारोबारी को अगवा कर देवरिया जेल में लाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी UP सरकार से रिपोर्ट

Rashid MA

9 Jan 2019 5:38 PM GMT

  • अतीक अहमद के कारोबारी को अगवा कर देवरिया जेल में लाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी UP सरकार से रिपोर्ट

    उत्तर प्रदेश के देवरिया जेल में बंद पूर्व सासंद अतीक अहमद द्वारा एक कारोबारी को अपहृत कर जेल में लाने और संपत्ति ट्रांसफर करने की जानकारी को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।

    जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. के. कौल की पीठ ने राज्य सरकार से इस संबंध में दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है।

    दरअसल पूर्व व वर्तमान विधायकों/सासंदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन की सुनवाई में एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने पीठ को इस घटना की जानकारी दी थी।

    उन्होंने पीठ को बताया कि अतीक अहमद पर 22 आपराधिक मामले लंबित हैं और 28 दिसंबर को उन्होंने एक कारोबारी को अगवा कर जेल में लाने जैसा अपराध किया है। इस पर पीठ ने नाराजगी जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इस पर दो हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

    इससे पहले चार दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और केरल हाईकोर्ट को पूर्व व वर्तमान विधायकों/सासंदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए हर जिले में सेशन व मजिस्ट्रेट कोर्ट को स्पेशल कोर्ट की तरह केसों के आवंटन करने को कहा ताकि इनका ट्रायल जल्द पूरा हो सके।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की पीठ ने कहा कि, इस दौरान उन मामलों को प्राथमिकता दी जाए जिनमें अधिकतम सजा के तौर पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

    पीठ ने कहा कि फिलहाल इस प्रक्रिया को दो हाईकोर्ट से ही शुरू किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट, समय-समय पर इसकी स्टेटस रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट को देंगे।

    दरअसल अमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में बताया है कि फिलहाल पूर्व व वर्तमान विधायकों/सासंदों के खिलाफ देशभर में 4122 आपराधिक मामले लंबित हैं।

    इनमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 922 मामले लंबित हैं जबकि केरल में करीब 312 मामले लंबित हैं और बिहार मे 304 मामले लंबित हैं। इनमें से 1991 मामलों में आरोप तय नहीं गए हैं, जबकि पूर्व व वर्तमान विधायकों/सासंदों के खिलाफ 264 मामलों में हाइकोर्ट द्वारा ट्रायल पर रोक लगाई गई है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि कई मामले तो तीस साल पुराने भी हैं। अमिक्स क्यूरी ने सुझाव दिया कि हर जिले में ऐसे केसों के ट्रायल को जल्द पूरा करने के लिए अदालतों को निर्धारित किया जाए।

    अधिवक्ता और दिल्ली भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए, देश में सांसदों व विधायकों के आपराधिक मामलों के ट्रायल के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश दिए थे। इस याचिका में दोषी राजनेताओं पर आजीवन चुनाव लड़ने पर पाबंदी की मांग की गई है।

    इसके लिए उन्होंने जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है, जो कि दोषी राजनेताओं को उनकी जेल अवधि पूरी होने के बाद, छह साल की अवधि तक के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य करार देता है।

    इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 1 नवंबर 2018 को फास्ट ट्रैक न्यायालयों की तर्ज पर नेताओं के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए केंद्र को निर्देश दिया था।

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