' लगता है चुनाव आयोग अपनी शक्तियों के साथ जाग गया है ' : SC ने चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर ECI की कार्रवाई पर संतोष जताया
Live Law Hindi
16 April 2019 5:49 PM IST
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती, भारतीय जनता पार्टी नेता मेनका गांधी और समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा की गई कार्रवाई पर संतोष व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान अभद्र भाषा के खिलाफ कार्रवाई करने की जनहित याचिका की सुनवाई स्थगित कर दी।
"ऐसा लगता है कि आपको (चुनाव आयोग) अपनी शक्तियां मिल गई हैं ... अब चुनाव आयोग अपनी शक्तियों से जाग गया है," मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल हैं, चुनाव आयोग की शक्ति के दायरे में उन राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार कर रही है जो अपने राजनीतिक भाषणों में धर्म और जाति को आधार बनाते हैं।
इसके बाद पीठ ने आयोग के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि को मंगलवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया ताकि आयोग की शक्तियों का परीक्षण करने में सहायता की जा सके।
अदालत में दाखिल इस याचिका में राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं को भी जनप्रतिनिधि अधिनियम और चुनावी आचार संहिता के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया है।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने इस याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा था।
याचिका के मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 में भ्रष्टाचार मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने की पर्याप्त क्षमता नहीं है। राजनीतिक दलों के प्रवक्ता/मीडिया प्रतिनिधि/अन्य राजनेता जो चुनाव नहीं भी लड़ रहे हैं, वे टीवी चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जाति या धर्म के आधार पर घृणास्पद भाषणों का उपयोग करते हैं और वे सभी कार्यों से आसानी से बच निकलते हैं।
इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं के बयान चुनाव और जनमत को सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं लेकिन वो न तो जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत जवाबदेह हैं और ना ही आदर्श आचार संहिता के तहत। इसका मतलब यह है कि वो पार्टियों की तरफ से लिए कोई भी बयान दे सकते हैं।
याचिका में आगे यह मांग की गई है कि ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में एक समिति बननी चाहिए जो इस संबंध में विस्तृत गाइडलाइन तैयार करे और पीठ चुनाव आयोग को पार्टियों के प्रवक्ताओं को भी जनप्रतिनिधि अधिनियम और आचार संहिता के अंतर्गत लाने के निर्देश जारी करे।