पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के बिना रेत खनन की अनुमति ना देने की मांग वाली याचिका पर SC ने केंद्र को नोटिस जारी किया

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25 July 2019 3:52 PM GMT

  • पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के बिना रेत खनन की अनुमति ना देने की मांग वाली याचिका पर SC ने केंद्र को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है जिसमें यह निर्देश मांगा गया है कि देशभर में रेत खनन परियोजनाओं के अनुदान से पहले पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA), पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) और सार्वजनिक परामर्श के बाद पर्यावरण मंजूरी (EC) को अनिवार्य किया जाना चाहिए।

    "अवैध खनन से पर्यावरण संतुलन हो रहा है प्रभावित"

    दरअसल एम. अलगरास्वामी द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 25 हेक्टेयर तक के क्षेत्र में रेत खनन परियोजनाओं को वर्गीकृत किया है जो कि EIA अधिसूचना 2006 के तहत श्रेणी बी 2 परियोजना के रूप में है और इनके अनुदान के लिए पहले EIA, EMP या सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता नहीं है। इसकी वजह से अवैध रेत खनन बेतहाशा बढ़ गया है जो पर्यावरण संतुलन को प्रभावित कर रहा है।

    "पर्यावरण मंजूरी हो गयी है अर्थहीन"
    याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी. आर. गवई की पीठ के समक्ष यह दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में दीपक कुमारमामले में यह निर्देश दिया था कि सभी खनन परियोजनाओं, चाहे उनका क्षेत्र कितना भी हो, खनन के लिए EC होना चाहिए लेकिन 25 हेक्टेयर से कम क्षेत्र वाले रेत खनन परियोजनाओं के वर्गीकरण ने पर्यावरण मंजूरी को अर्थहीन बना दिया है।

    यह याचिका वर्ष 2016 में स्थायी रेत खनन दिशानिर्देशों को संदर्भित करती है, जिसमें यह कहा गया था कि EIA, EMP और सार्वजनिक परामर्श को छूट देना पर्यावरणीय मंजूरी के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता जो पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और सामाजिक रूप से जिम्मेदार खनन सुनिश्चित करता है। याचिका यह भी बताती है कि EC प्राप्त करने के लिए अनुमोदित खनन योजना को अनिवार्य नहीं बनाया गया है।

    याचिका में किया गया दावा

    "क्योंकि प्रतिवादी संख्या 1 ने 24 दिसंबर, 2013 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया था, जिसमें 5 हेक्टेयर से अधिक लेकिन 25 हेक्टेयर से कम क्षेत्र के खनन पट्टे के साथ नदी रेत खनन परियोजनाओं के लिए केवल मैनुअल खनन की अनुमति दी गई थी। हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे विभिन्न समाचार प्रकाशनों ने स्पष्ट रूप से यह सूचित किया है कि 25 हेक्टयर से कम क्षेत्रों में मशीनों से खनन किया जा रहा है," वकील प्रणव सचदेवा के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया है।

    याचिका में उठायी गयी मांग एवं प्रार्थना

    याचिका में ये भी कहा गया है कि बिना उपयुक्त पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (EIA), पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) और सार्वजनिक परामर्श के बिना किसी भी रेत खनन परियोजना के लिए कोई पर्यावरणीय मंजूरी (EC) नहीं दी जानी चाहिए। यह भी प्रार्थना की गई है कि रेत खनन परियोजना का क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके आकलन के बिना किसी भी खनन के लिए EC ना दिए जाने को लेकर केंद्र को निर्देश जारी किया जाए। रेत खनन घोटाले को उजागर करने के लिए याचिकाकर्ता द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की भी मांग की गई है।

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