पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट देने के चुनाव आयोग के फैसले का परीक्षण करने से SC ने इनकार किया, दूसरी याचिका दाखिल करने को कहा

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8 May 2019 1:37 PM GMT

  • पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट देने के चुनाव आयोग के फैसले का परीक्षण करने से SC ने इनकार किया, दूसरी याचिका दाखिल करने को कहा

    चुनाव प्रचार के दौरान कथित रूप से हेट स्पीच देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा प्रमुख अमित शाह को क्लीन चिट देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार करते हुए कांग्रेस की सासंद सुष्मिता देव द्वारा दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया।

    "चुनाव आयोग ने सुना दिया है फैसला"
    बुधवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि याचिका चुनाव आयोग द्वारा शिकायतों पर कार्रवाई ना करने को लेकर थी। अब चुनाव आयोग इन शिकायतों पर फैसला सुना चुका है इसलिए ये याचिका प्रभावहीन हो गई हैं।
    हालांकि पीठ ने याचिकाकर्ता को यह अनुमति दी कि अगर चुनाव आयोग के फैसले से उनको शिकायत है तो वो नई रिट याचिका दाखिल कर सकते हैं।

    हालांकि इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को यह बताया कि उनकी ओर से चुनाव आयोग द्वारा दिए गए फैसलों पर अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया गया है।

    राजीव गांधी पर पीएम मोदी की टिप्पणी का जिक्र
    सिंघवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 'भ्रष्टाचारी नंबर 1' टिप्पणी को भी पीठ के सामने उठाया, लेकिन पीठ ने कहा कि वो चुनाव आयोग के फैसलों की योग्यता पर वर्तमान रिट याचिका के तहत सुनवाई नहीं कर सकते।

    "अन्य नेताओं पर हुई कार्यवाही पर पीएम मोदी और अमित शाह पर नहीं"
    अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष कहा था कि ऐसे मामलों में जहां चुनाव प्रचार के दौरान अन्य राजनेताओं द्वारा ऐसे ही बयान दिए गए, उन पर तो कार्रवाई की गई लेकिन पीएम मोदी और शाह को छोड़ दिया गया है।

    उनका कहना था कि चुनाव आयोग ने पूर्व में बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा नेता आजम खान, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा नेता मेनका गांधी के लिए एक समान आधार पर चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

    सिंघवी ने यह भी कहा कि पीएम मोदी और शाह के पक्ष में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए इन फैसलों में से अधिकांश एक राय से नहीं हैं और याचिकाकर्ता को इन आदेशों की प्रतियां भी नहीं दी गईं और ना और न ही उनके लिए आधार का खुलासा किया गया है।

    "शिकायतों पर फैसला लेने की कोई समय सीमा नहीं"
    पीठ के समक्ष वरिष्ठ वकील ने कहा था कि इन शिकायतों को हल करने के लिए आयोग के लिए आदर्श आचार संहिता में कोई समय निर्धारित नहीं है, और देव द्वारा दी गई शिकायत को आयोग द्वारा 1 महीने में संबोधित किया गया है। उन्होंने अदालत से भविष्य में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को नियंत्रित करने के लिए दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने के बड़े मुद्दे को उठाने का आग्रह किया था।

    बीते 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देंश दिया था कि वो पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन करने की शिकायतों पर सोमवार 6 मई तक फैसला करे।

    आयोग को जारी हुआ था नोटिस
    इससे पहले पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद और पार्टी महिला विंग की अध्यक्ष सुष्मिता देव की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
    देव ने यह शिकायत की थी कि चुनाव आयोग के स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद हेट स्पीच और चुनावी अभियान में मोदी और शाह द्वारा सशस्त्र बलों को शामिल कर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर कांग्रेस द्वारा पुष्ट सबूत उपलब्ध कराए गए हैं।

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