Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

मॉब लिंचिंग : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, SC के दिशा-निर्देश लागू ना करने का आरोप

Live Law Hindi
27 July 2019 4:22 PM GMT
मॉब लिंचिंग : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, SC के दिशा-निर्देश लागू ना करने का आरोप
x

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर केंद्र सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्यों की प्रतिक्रिया मांगी है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि पिछले साल मॉब लिंचिंग और भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए जारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को नहीं लागू किया गया है।

ग्रह मंत्रालय एवं 11 राज्य सरकारों से मांगे गए जवाब

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ ने एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका पर गृह मंत्रालय और 11 राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगे हैं।

सरकार को स्टेटस रिपोर्ट जारी करने के निर्देश देने का हुआ अनुरोध

ट्रस्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अनुकुल चंद्र प्रधान ने पीठ के समक्ष यह कहा कि भीड़ की हिंसा से निपटने के उद्देश्य से शीर्ष अदालत के निर्देशों को लागू करने से लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं और कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। उन्होंने सभी सरकार को एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश भी जारी करने का अनुरोध किया।

ट्रस्ट ने कहा है कि 17 जुलाई, 2018 को शीर्ष अदालत ने सरकार को भीड़ हिंसा से निपटने के लिए "निवारक, उपचारात्मक और दंडात्मक उपाय" प्रदान करने के लिए पारित दिशा निर्देश जारी किए थे। ये निर्देश कांग्रेसी कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की उस जनहित याचिका पर जारी किए गए थे जिसमें भीड़ की हिंसा और गोरक्षा के नाम पर हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मुद्दे उठाए गए थे।

"संसद भीड़ हिंसा को लेकर कानून बनाने पर करे विचार"

आदेश में शीर्ष अदालत ने संसद से यह कहा था कि वह भीड़ हिंसा और गोरक्षक दलों की हिंसा से निपटने के लिए नए कानून को लागू करने पर विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि सभी नागरिकों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देना राज्यों का कर्तव्य था क्योंकि इस तरह की भीड़ हिंसा को फर्जी खबरों और झूठी कहानियों के जरिए भड़काया जा रहा है।

शीर्ष अदालत ने यह कहा था कि एक विशेष कानून बनाने की आवश्यकता है क्योंकि यह उन लोगों के बीच कानून के लिए भय की भावना पैदा करेगा जो खुद को भीड़ में शामिल करते हैं। पीठ ने यह कहा था कि यह राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि वे कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के अलावा समाज में कानून के शासन को सुनिश्चित करें।

Next Story