सरकारी डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दिशानिर्देश की मांग को लेकर दाखिल PIL को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया

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27 July 2019 6:27 AM GMT

  • सरकारी डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दिशानिर्देश की मांग को लेकर दाखिल PIL को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया

    बीते जून महीने में कोलकाता में डॉक्टरो पर हुए हमले के विरोध में देश भर में डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बीच दाखिल जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    "पीठ नहीं है मामले में सुनवाई करने की इच्छुक"
    शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि इस संबंध में यदि कोई हस्तक्षेप याचिका है तो वो भी खारिज की जाती है। पीठ इस याचिका पर सुनवाई करने की इच्छुक नहीं है।

    इससे पहले 18 जून को सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्य कांत की अवकाश पीठ ने यह कहा था कि चूंकि कोलकाता के डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो चुकी है इसलिए अभी इस पर सुनवाई नहीं होगी। पीठ ने इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध इसलिए किया था कि कोलकाता में डॉक्टरों की हड़ताल थी लेकिन अब इस मामले में बड़े मुद्दे पर उचित पीठ ही सुनवाई करेगी।

    याचिकाकर्ता की डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग
    दरअसल याचिकाकर्ता वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने इस याचिका में देश भर के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी। याचिका में ये भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार को यह निर्देश दे कि वो कोलकाता मेडिकल कालेज में डॉक्टर पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करे।

    "डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश और नियम तय किए जाएं"
    इस याचिका में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए देश भर के सरकारी अस्पतालों में सरकारी सुरक्षा कर्मी तैनात करने के अलावा डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश और नियम तय किए जाने की भी मांग की गई थी। याचिका में डॉक्टरों की हड़ताल से प्रभावित हो रही स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा भी उठाया गया था। याचिका में केंद्रीय गृहमंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और पश्चिम बंगाल सरकार को पक्षकार बनाया गया था।

    क्या था इस याचिका को दाखिल करने का आधार१
    गौरतलब है कि कोलकाता के एनआरएस अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक मरीज की मौत हो गई थी। इसके बाद उस मरीज के परिवार वालों ने 2 जूनियर डॉक्टरों की पिटाई कर दी थी जिससे दोनों बुरी तरह घायल हो गए। इस घटना के बाद से ही देशभर में डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था।

    वहीं कलकत्ता उच्च न्यायालय ने डॉक्टरों द्वारा हड़ताल पर कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने राज्य सरकार से हड़ताली डॉक्टरों को काम फिर से शुरू करने और रोगियों को सामान्य सेवाएं प्रदान करने के लिए बातचीत करने को कहा था। अदालत ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि वह डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों से पीठ को अवगत कराए। हालांकि बाद में सरकार के आश्वासन देने पर यह हड़ताल खत्म हो गई थी।

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