Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

महाराष्ट्र में PG मेडिकल दाखिला : काउंसलिंग में मूल विकल्प चुनने की अनुमति के लिए छात्रों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

Live Law Hindi
10 Jun 2019 3:31 PM GMT
महाराष्ट्र में PG मेडिकल दाखिला : काउंसलिंग में मूल विकल्प चुनने की अनुमति के लिए छात्रों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
x

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें महाराष्ट्र में PG मेडिकल दाखिलों में सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए होने वाली नई काउंसलिंग में अपनी प्राथमिकता बदलने की अनुमति मांगी गई थी।

सोमवार को जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस संबंध में पीठ का आदेश पूरी तरह स्पष्ट है और इसके लिए अब किसी भी स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है।

दरअसल याचिका के माध्यम से छात्रों के एक समूह ने 4 जून के उस आदेश को संशोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें छात्रों को EWS कोटे के समाप्त होने के बाद आयोजित होने वाली काउंसलिंग के नए दौर में अपने मूल विकल्पों को बदलने से रोक दिया गया था।

30 मई को SC ने दिया था एक बड़ा आदेश
30 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि महाराष्ट्र में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों पर प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 16 (6) में 103 वें संशोधन, जिसमें EWS कोटा का प्रबंध किया गया था, से पहले प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई थी।

"EWS कोटा मौजूदा सत्र के लिए लागू नहीं"
कोर्ट ने कहा था कि EWS कोटा 2019-20 के लिए लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीटें नहीं बढ़ाई थीं। कोर्ट ने EWS सीटों को सामान्य श्रेणी में बदलने के बाद सभी सीटों में फेरबदल करने का आदेश दिया था।

4 जून को नए सिरे से काउंसलिंग आयोजित करने का दिया गया निर्देश
इसके बाद कुछ छात्रों ने यह कहते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि नए सिरे से काउंसलिंग के बिना सीटों में फेरबदल करने से छात्रों के साथ पूर्वाग्रह होगा। इस आवेदन पर कार्यवाही करते हुए न्यायालय ने 4 जून को व्यापक प्रचार-प्रसार के बाद कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल को नए सिरे से काउंसलिंग आयोजित करने का निर्देश दिया था।

छात्रों को अपने विकल्पों/प्राथमिकताओं को बदलने की अनुमति नहीं
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सुझाव के अनुसार ऑनलाइन काउंसलिंग के बजाय फिजिकल काउंसलिंग (मैन्युअल काउंसलिंग) आयोजित करने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने यह भी निर्देश दिया था कि छात्रों को उन विकल्पों/प्राथमिकताओं को बदलने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो मूल रूप से मार्च में आवेदन करने के समय दी गई थीं।

इस प्रतिबंध को हटाने की हुई थी मांग
इस प्रतिबंध को सागर दामोदर सारडा और 16 अन्य द्वारा दायर आवेदन द्वारा संशोधित करने की मांग की गई थी। वकील कृष्ण कुमार सिंह के माध्यम से दायर उनकी याचिका में यह कहा गया था कि छात्रों को ऑनलाइन विकल्प/प्राथमिकताएं 30 मार्च से 2 अप्रैल तक जमा करने की अनुमति दी गई थी। EWS कोटा के 7 मार्च को लागू होने के बाद छात्रों के विकल्प EWS कोटे के चलत प्रतिबंधित हो गए और इसलिए उस पृष्ठभूमि में ऑनलाइन प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करने को "वैध अभ्यास" नहीं कहा जा सकता।

विकल्प बदलने के पक्ष में दलील
यह माना गया है कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने अब EWS सीटों को सामान्य श्रेणी में बदलने का आदेश दिया है, इसलिए छात्रों को काउंसलिंग के नए दौर में विकल्प बदलने का मौका दिया जाना चाहिए।

Next Story