विदेश यात्रा का अधिकार एक महत्वपूर्ण बुनियादी मानवीय अधिकार : सुप्रीम कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहे IPS अफसर को विदेश जाने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]

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15 April 2019 5:48 AM GMT

  • विदेश यात्रा का अधिकार एक महत्वपूर्ण बुनियादी मानवीय अधिकार : सुप्रीम कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहे IPS अफसर को विदेश जाने की अनुमति दी [आर्डर पढ़े]

    "हमारी राय यह है कि विभागीय कार्यवाही की लंबितता अधिकारी को विदेश यात्रा से रोकने के लिए कोई आधार नहीं हो सकती है।"

    विदेश यात्रा का अधिकार एक महत्वपूर्ण बुनियादी मानवीय अधिकार है, यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही का सामना करने वाले एक IPS अधिकारी को निजी विदेश यात्रा पर जाने की अनुमति दे दी।

    न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि अधिकारी को विदेश यात्रा से रोकने के लिए विभागीय कार्यवाही की लंबितता कोई आधार नहीं हो सकती।

    क्या था यह मामला१
    दरअसल इशरत जहां मुठभेड़ की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ने निजी विदेश यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमति देने से इनकार करने के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में अपील की थी।

    सरकार की दलील
    सरकार की यह दलील थी कि पुलिस अधिकारी वर्तमान में विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहा है। ट्रिब्यूनल और बाद में उच्च न्यायालय ने यह माना कि विजिलेंस मंजूरी की कमी के कारण अनुमति से इनकार करने में कुछ भी गलत नहीं था।

    उनकी अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि अफसर को यात्रा करने का मौलिक अधिकार है और इस अधिकार का उल्लंघन इस आधार पर नहीं किया जा सकता कि उन्हें विजिलेंस मंजूरी नहीं दी गई है। बाद में पीठ ने इस संबंध में भारत सरकार से विचार मांगे।

    मेनका गांधी मामले का अदालत ने किया उल्लेख
    पीठ ने अपील का निस्तारण करते हुए मेनका गांधी बनाम भारत संघ मामले में किये गए फैसले का उल्लेख किया और अवलोकन किया: "विदेश यात्रा का अधिकार एक महत्वपूर्ण बुनियादी मानव अधिकार है, इसके लिए व्यक्ति के स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रचनात्मक चरित्र का पोषण होता है, न केवल उसके कार्यकलाप की स्वतंत्रता का विस्तार करके, बल्कि उसके अनुभव के दायरे का विस्तार करके भी। यह अधिकार निजी जीवन, शादी, परिवार और दोस्ती व मानवता में भी विस्तारित होता है जो विदेश जाने की आजादी से इनकार करने के माध्यम से शायद ही कभी प्रभावित हो सकते हैं और स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि यह स्वतंत्रता एक वास्तविक मानव अधिकार है। "

    अपनी वापसी को लेकर वचन पत्र करना होगा दाखिल

    न्यायालय ने यह भी कहा कि उक्त अफसर को पहले वर्ष 2017 में अमेरिकी यात्रा करने की अनुमति दी गई थी और वह तुरंत वापस आ गया था। इस पर ध्यान देते हुए पीठ ने अधिकारी को 28.04.2019 और 01.06.2019 की अवधि के बीच अमेरिका और फ्रांस जाने की अनुमति दी। यह अनुमति रजिस्ट्री में एक वचन पत्र दाखिल करने के अधीन है कि वह 01.06.2019 को वापस आ जाएगा।


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