विवाह के लिए धर्म परिवर्तन के लिए राजस्थान HC के दिशा- निर्देशों का परीक्षण करेगा सुप्रीम कोर्ट
Live Law Hindi
30 March 2019 4:36 PM IST
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल उस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया जिसमें आस्था से बाहर या सिर्फ शादी करने के इरादे से धर्म परिवर्तन करने के लिए सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की पीठ ने याचिकाकर्ता 'मिस्टर एक्स' की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को राजस्थान सरकार के वकील को याचिका की प्रति सौंपने को कहा है। पीठ ने कहा है कि वो इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगी।
सुनवाई के दौरान पेश वकील ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक लड़की के स्वेच्छा से दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करने की इच्छा के चलते चले जाने पर दायर हैबियस कॉरपस याचिका की सुनवाई के दौरान धर्मांतरण के खिलाफ सामान्य दिशानिर्देश पारित कर दिए।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय का ये फैसला संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का सीधे तौर पर उल्लंघन करता है, जिसमें 9 जजों की संविधान पीठ द्वारा के एस. पुट्टस्वामी मामले में जीने के अधिकार में निजता का अधिकार भी शामिल है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस फैसले में गलती से प्राधिकारी को किसी व्यक्ति के इरादे (मानसिक स्थिति) का पता लगाने के लिए अघोषित रूप से अधिकार दे दिए हैं। ये फैसला मनमाना है क्योंकि फैसले ने धर्म परिवर्तन के अपने इरादे को अधिकारियों को सूचित करने के लिए कहा है जोकि संविधान का पूर्ण उल्लंघन व साक्ष्य और प्रक्रिया के कानूनों के विपरीत है।
दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर, 2017 को पारित अपने फैसले में कहा था कि धर्म परिवर्तन का इच्छुक कोई भी व्यक्ति पहले इस संबंध में जिला कलेक्टर को सूचित करेगा और कलेक्टर इस बारे में 1 सप्ताह के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करेंगे। 1 सप्ताह के समय के बाद विवाह के उद्देश्य के लिए वो व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। उच्च न्यायालय ने विवाह के लिए बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की जांच के लिए ये दिशानिर्देश जारी किए गए थे।