अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा के लिए DCW पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस

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22 Feb 2019 5:17 PM GMT

  • अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा के लिए DCW पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली महिला आयोग (DCW) की याचिका पर 12 अंतरजातीय/अंतर-समुदाय जोड़ों को सुरक्षा और आश्रय की सुविधा देने की मांग पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर उनकी ओर से जवाब मांगा है। याचिका के मुताबिक ये जोड़े अपने परिवार के सदस्यों और कथित विजिलेंट ग्रुप से ऑनर किलिंग के खतरे का सामना कर रहे हैं।

    जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की पीठ ने 2 सप्ताह के भीतर अपनी प्रतिक्रिया के लिए संबंधित सरकारों को नोटिस जारी किए।

    अपनी याचिका में DCW ने कहा है कि इस तरह के विजिलेंट ग्रुप द्वारा उन जोड़ों के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार और अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है जो अपने जीवनसाथी के रूप में किसी को चुनते हैं।

    उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने जोड़ों के नाम का खुलासा किए बिना कहा कि आयोग ने हाल ही में गैरकानूनी रूप से चल रहे एक गैर-सरकारी संगठन "लव कमांडो" से जोड़ों को बचाया है जो इन जोड़ों को ब्लैकमेल करके पैसा वसूल रहा था।

    आयोग के अनुसार तथाकथित लव कमांडो के कथित किंगपिन संजय सचदेव को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। DCW के अनुसार भागे हुए जोड़े सभी बड़ी संख्या में मौजूद हैं और पिछले कुछ महीनों के दौरान अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह के कारण अपने परिवारों, स्थानीय समुदाय, खाप और अन्य द्वारा विरोध से गुजर रहे हैं। वे आशंका जता रहे हैं कि वे ऑनर किलिंग के शिकार हो जाएंगे। ये दंपति ग्वालियर, आगरा, जयपुर, गाज़ियाबाद, बरेली और दिल्ली जैसी जगहों से आए हैं।

    आयोग ने प्रस्तुत किया कि जोड़ों को लव कमांडो से छुड़ाने के बाद उन्हें अलग-अलग सरकारी आश्रय घरों में अस्थायी रूप से स्थानांतरित कर दिया गया। चूंकि NCW पर्याप्त संसाधन, आश्रय स्थल और सुरक्षा व्यवस्था से लैस नहीं है, इसलिए यह ऐसे दंपतियों को आवास देने की स्थिति में नहीं है।

    आयोग ने खाप पंचायतों के हालिया फैसले का हवाला दिया और कहा कि इस फैसले में केंद्र और राज्यों को दिए गए निर्देशों में ऐसे भागे हुए दंपतियों को कोई आश्रय सुविधा नहीं दी गई है। इसलिए आयोग ने अदालत से सभी राज्यों को उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया, ताकि उन जोड़ों को इस तरह की सुविधा प्रदान की जा सके जो घरों से भाग निकलते हैं।

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