महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने के आरोपों वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
फडणवीस की दलील
बुधवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की तो फडणवीस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वर्ष 2014 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने इसलिए इन 2 मामलों का खुलासा नहीं किया क्योंकि उस समय उनमें आरोप तय नहीं किए गए थे।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से यह कहा गया कि ये सीधे-सीधे जानकारी छिपाने का मामला है और प्रतिवादी को अयोग्य करार दिया जाना चाहिए।
फडणवीस से मांगा गया था जवाब
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा था। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसेफ की पीठ ने ये नोटिस जारी किया था। याचिका में फडणवीस पर वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के लिए दाखिल हलफनामे में 2 आपराधिक मामलों का खुलासा ना करने का आरोप लगाया गया है।
महाराष्ट्र के वकील सतीश उके ने मुख्यमंत्री के खिलाफ याचिका दायर कर चुनाव को निरस्त करने की मांग की है और यह कहा है कि ये आपराधिक मामले की श्रेणी में भी आता है।
याचिकाकर्ता द्वारा दी गयी दलील
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यह दलील दी थी कि फडणवीस ने वर्ष 2014 विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में उनके खिलाफ दर्ज 2 आपराधिक मामलों को नहीं दर्शाया था। इनमें से एक मामला आपराधिक मानहानि और दूसरा ठगी का है। ऐसे में ये सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है और इसके लिए उनका चुनाव रद्द किया जाना चाहिए।
बॉम्बे HC कर चुका है याचिका खारिज
हालांकि इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने ये याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि याचिका में तथ्यों की कमी है। उके ने हाईकोर्ट में नागपुर के ज्यूडि़शियल मजिस्ट्रेट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें ऐसी ही एक याचिका को खारिज कर दिया गया था। याचिका में इसी आधार पर फडणवीस का चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता उके ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2009 और 2014 में नागपुर के दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरते समय फडणवीस ने उनके खिलाफ लंबित 2 आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाई थी। यह जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 125-ए का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिकाकर्ता के मुताबिक वर्ष 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ विभिन्न आरोपों में 2 मामले दर्ज किए गए थे।