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कैबिनेट ने CJI को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने के एक विधेयक को पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
मंत्री ने यह कहा कि एनडीए सरकार ने वर्ष 2016 में 173 अतिरिक्त पदों को मंजूरी देकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की क्षमता 1079 तक बढ़ा दी है।
CJI रंजन गोगोई ने लिखा था प्रधानमंत्री को पत्र
इससे पहले बीते मई में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से यह अनुरोध किया था कि वो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल तक बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट की क्षमता को बढ़ाने के लिए कदम उठाएं। CJI ने 2 अलग-अलग पत्र लिखे थे जिसमें लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए अनुरोध भी किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 224 (3) और 124 (2) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में 65 वर्ष है। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि कई संसदीय समितियों ने इसकी सिफारिश की है। यदि सेवानिवृत्त HC न्यायाधीश 62 वर्ष से अधिक आयु पर वैधानिक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य कर सकते हैं तो वे 65 वर्ष की आयु तक HC में भी जारी रह सकते हैं। CJI ने कहा, "इस प्रस्ताव से अधिक कार्यकाल के लिए अधिक अनुभव वाले न्यायाधीशों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी।"