राफेल : CJI ने कहा, मामले में सुनवाई में देरी पक्षकारों की वजह से, याचिका में त्रुटियों को सुधार नहीं किया

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15 Feb 2019 4:17 PM GMT

  • राफेल : CJI ने कहा, मामले में सुनवाई में देरी पक्षकारों की वजह से, याचिका में त्रुटियों को सुधार नहीं किया

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को संकेत दिया कि राफेल मामले में केंद्र द्वारा दायर संशोधन याचिका व याचिकाकर्ताओं की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई में देरी पक्षकारों द्वारा याचिका में त्रुटियों को ठीक ना करने की वजह से हो रही है।

    दरअसल केंद्र ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले को संशोधित करने के लिए दिसंबर, 2018 में ही आवेदन दायर किया था। तत्पश्चात जनवरी में वकील प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने मामले को लेकर पुनर्विचार याचिकाएं दायर कीं। लेकिन अभी तक याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

    शुक्रवार को जब एक वकील ने CJI गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ को शिकायत की कि उनकी याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा है और रजिस्ट्री में देरी हो रही है तो CJI ने मौखिक रूप से कहा, "रजिस्ट्री में गलती नहीं भी हो सकती। कुछ मामलों में चूक वकीलों से भी होती है। वे अपने मामलों की जल्द सुनवाई के लिए समय पर अपनी याचिकाओं में दोष का उपचार नहीं करते हैं।"

    राफेल याचिकाओं की सूची में देरी के एक स्पष्ट संदर्भ में CJI ने कहा "दूसरा पक्ष (वकील) इतना निर्दोष नहीं हैं। त्रुटियों को सुधारने के बजाय ये याचिकाकर्ता मीडिया में गए और उन्होंने व्यापक प्रचार कर दावा किया गया।" इस प्रकार उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मामले को सूचीबद्ध करने में देरी रजिस्ट्री की वजह से नहीं है बल्कि संबंधित वकीलों की ओर से है। हालांकि केंद्र ने भी अपनी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग के लिए मेंशन करने की जहमत नहीं उठाई।

    केंद्र ने अपने आवेदन में कहा है कि 36 राफेल जेट के सौदे के मूल्य निर्धारण के बारे में अंग्रेजी व्याकरण में "गलत तरीके से दी गई" जानकारी को 'सील कवर नोट' में प्रस्तुत किया गया। भूषण और अन्य लोगों ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला दोषपूर्ण है। वे चाहते हैं कि शीर्ष अदालत अपने "गलत" फैसले पर फिर से विचार करे, जो राफेल सौदे को बरकरार रखने के लिए "गैर-मौजूद" सीएजी रिपोर्ट पर निर्भर करता है।

    उन्होंने कहा है कि काल्पनिक सीएजी रिपोर्ट पर आधारित फैसला केवल "लिपिक या अंकगणित" भूल नहीं बल्कि यह एक बड़ी त्रुटि है। इसलिए फैसले को वापस लिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीएजी एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है। सरकार का दावा है कि राफेल पर सीएजी की अंतिम रिपोर्ट एक नए रूप में होगी जो असत्य है। वास्तव में सरकार सीएजी को निर्देश नहीं दे सकती कि क्या किया जाना चाहिए या क्या नहीं।

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