बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कहा है कि वो इस संबंध में हत्याओं की जांच को लेकर 3 जून को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने ये निर्देश जारी किए।
इस दौरान सीबीआई की ओर से कहा गया कि एजेंसी 11 लड़कियों के मामले की जांच कर रही है। मुख्य परेशानी यह आ रही है कि शेल्टर होम में रहने वाली 35 लड़कियों के नाम एक जैसे हैं।
हालांकि पहले पीठ ने कहा कि ये जांच 3 जून तक पूरी होनी चाहिए लेकिन सीबीआई ने कहा कि यह कहना अभी संभव नहीं है कि तबतक जांच पूरी हो पाएगी अथवा नहीं।
सीबीआई द्वारा जाहिर की गई शंका
इससे पहले मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा है कि वो 11 हत्याओं की जांच कर रही है और उसे शक है कि जो 11 लड़कियां गायब हैं उनकी हत्या की गई है। सीबीआई ने कहा कि शेल्टर होम की खुदाई में हड्डियां मिली है। मामले में हुई हत्या की अभी जांच अभी जारी है।
मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर की भूमिका की जांच
जांच एजेंसी ने ये भी कहा है कि इन 11 हत्याओं में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर समेत अन्य लोगो की भूमिका की जांच की जा रही है। हालांकि सीबीआई ने इस आरोप से इनकार किया है कि इस मामले में शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगों को बचाया जा रहा है। सीबीआई ने इस मामले में जांच खत्म करने के लिए और समय की मांग की है।
"सबूत हाथ लगते ही होगी कार्यवाही"
सीबीआई का कहना है कि फिलहाल जो चार्जशीट दी गई है उसमें हत्या के आरोप नहीं हैं लेकिन सबूत हाथ लगते ही अगली कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई सोमवार 6 मई को की जाएगी।
CBI की जांच पर उठाए गए हैं सवाल
दरअसल इस मामले में सीबीआई जांच पर भी सवाल उठे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हस्तक्षेप अर्जी में कहा गया है कि सीबीआई ने इस मामले में दाखिल चार्जशीट में हत्या और बलात्कार जैसी कठोर धाराओं की बजाए हल्की धाराओं को सम्मिलित किया गया है। दरअसल याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश शोएब आलम ने इसे सीबीआई की लापरवाही बताया है।
याचिका के जरिये CBI पर लगाये गए आरोप
याचिकाकर्ता के मुताबिक साकेत कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट में गंभीर खामियां हैं। शेल्टर होम की कई लड़कियों ने एक की हत्या और कइयों से बलात्कार के बयान दिए थे लेकिन सीबीआई ने ये धाराएं चार्जशीट में नहीं लगाईं हैं। ये भी कहा गया है कि शेल्टर होम में रहने वाली कई लड़कियों ने कहा है कि बाहर से भी कुछ लोग आते थे और उन्हें प्रताड़ित करते थे। इसी तरह लड़कियों को भी बाहर लोगों के पास ले जाया जाता था। लेकिन सीबीआई ने जांच में इन बाहरी लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटाई। ये भी कहा गया है कि इसी के चलते ये जांच बिहार पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी गई थी। याचिकाकर्ता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है।
दिल्ली की साकेत कोर्ट में चल रही है सुनवाई
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली की साकेत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरु हो चुकी है। सीबीआई द्वारा इस संबंध में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 21 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।
इससे पहले 7 फरवरी को शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, "बस बहुत हो चुका कहा।" इसके बाद मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का ट्रायल दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया था।
6 महीने में ट्रायल पूरा करने का आदेश
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह आदेश जारी करते हुए कहा था कि साकेत की POCSO कोर्ट रिकार्ड मिलने के बाद 6 महीने के भीतर मामले के ट्रायल को पूरा करेगी।
बिहार सरकार पर भी खड़े हुए कई सवाल
इसके अलावा पीठ ने सुनवाई के दौरान बिहार सरकार पर बड़े सवाल उठाए और कहा कि बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि हम सरकार नहीं चला रहे हैं, लेकिन हम यह जानना चाहते हैं कि आप कैसे सरकार चला रहे हैं? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत, मामले की जांच बिहार पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर की गई थी।