प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना याचिका : सुप्रीम कोर्ट अब जुलाई में करेगा AG की याचिका पर सुनवाई
Live Law Hindi
4 April 2019 2:16 PM IST
अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल द्वारा वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ दाखिल अवमानना की याचिका पर अब जुलाई में सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने गुरुवार को होने वाली सुनवाई को उस वक्त टाल दिया जब पीठ को यह बताया गया कि अटॉर्नी जनरल और प्रशांत भूषण संविधान पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई में व्यस्त हैं।
प्रशांत भूषण ने ट्वीट को माना 'वास्तविक गलती'
इससे पहले वकील प्रशांत भूषण ने 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया था कि उन्होंने ये ट्वीट करके "वास्तविक गलती" की है कि सरकार ने एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर नियुक्ति के लिए उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक के गढे़ हुए ब्यौरे को प्रस्तुत किया था।
इसी दौरान अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था कि भूषण के बयान के मद्देनजर वह वकील के खिलाफ दायर अपनी अवमानना याचिका वापस लेना चाहेंगे। हालांकि भूषण ने बिना शर्त माफी मांगने से भी इनकार कर दिया था।
पीठ ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर विचार करेगी कि क्या कोई व्यक्ति जनता की राय को प्रभावित करने के लिए किसी उप-न्यायिक मामले में अदालत की आलोचना कर सकता है।
सुनवाई से न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को अलग करने की मांग
इस सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने वेणुगोपाल द्वारा दायर अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को सुनवाई से अलग करने के लिए भी अर्जी दी थी लेकिन न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने इससे इनकार कर दिया। इस दौरान वेणुगोपाल ने अदालत को यह बताया था कि वह अपने पहले के बयान पर हैं कि वह भूषण को मामले में कोई सजा नहीं दिलाना चाहते और वो अपनी अर्जी वापस ले रहे हैं।
लेकिन पीठ ने कहा था कि एक बार अदालत किसी मुद्दे पर संज्ञान ले लेती है तो फिर अदालत ही तय करती है कि केस की सुनवाई बंद हो या नहीं।
क्या था यह पूरा मामला१
दरअसल 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ दायर उन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था जिनमें कहा गया था कि अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को यह कहकर गुमराह किया है कि अंतरिम सीबीआई निदेशक एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को हाई पॉवर कमेटी ने मंजूरी दी थी।
ये अवमानना याचिका अटार्नी जनरल और केंद्र सरकार ने दाखिल की हैं। पीठ ने इस बड़े मुद्दे पर विचार करने के लिए अपनी सहमति जताई थी कि जब मामला अदालत में लंबित हो तो वकील कैसे उस मामले पर टिप्पणी कर सकते हैं। अदालत में मौजूद प्रशांत भूषण ने नोटिस स्वीकार किया और अदालत को यह आश्वासन दिया कि वह 3 हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करेंगे।
हालांकि AG वेणुगोपाल ने यह जोर देकर कहा कि वह किसी सजा को लागू करने के लिए दबाव नहीं डाल रहे। अदालत को यह तय करना चाहिए कि एक वकील अदालत में लंबित किसी मामले में किस हद तक सार्वजनिक बयान दे सकता है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "हम एक बड़े मुद्दे पर हैं। इस मुद्दे को सुलझाने का समय अब आ गया है। यह देखा गया है कि कभी-कभी वकील मीडिया पर जाने के प्रलोभन को नियंत्रित नहीं कर पाते। पहले बार संस्थान की रक्षा कर रहा था लेकिन अब यह अलग है।"