चुनाव में 50% VVPAT सत्यापन संभव नहीं क्योंकि इससे मतगणना का समय 6 से 9 दिनों तक बढ़ेगा : चुनाव आयोग ने SC को बताया
Live Law Hindi
29 March 2019 8:37 PM IST
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि संसदीय निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र में 50% वोटर वेरिफिकेशन पेपर ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्ची सत्यापन संभव नहीं है क्योंकि इससे मतगणना के लिए आवश्यक समय को 6 से 9 दिनों के लिए आगे बढाना पड़ जाएगा।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और 20 अन्य राजनीतिक नेताओं द्वारा दायर याचिका के जवाब में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि पर्ची सत्यापन के लिए एक बड़े नमूने को लेने के लिए EVM को और भी अधिक दुरुस्त करना होगा।
यह उल्लेख करना अधिक प्रासंगिक है कि कोई भी गणना मानवीय त्रुटियों या जानबूझकर शरारत करने के लिए प्रवृत्त होती है और किसी भी बड़े पैमाने पर पर्ची सत्यापन के जरिये मतगणना से मानवीय त्रुटि और शरारत की संभावना कम हो जाती है।
वीवीपीएटी के तहत एक प्रिंटर बैलेटिंग यूनिट से जुड़ा होता है और उसे वोटिंग कंपार्टमेंट में रखा जाता है। मतदाता के इकाई पर बटन दबाने के बाद मतदाता वीवीपीएटी पर मुद्रित पर्ची को देखने की खिड़की के माध्यम से देख सकता है और इस प्रकार ये सत्यापित कर सकता है कि वोट उसकी पसंद के उम्मीदवार के लिए ही रिकॉर्ड किया गया है। पारदर्शी खिड़की के माध्यम से सात (7) सेकंड के लिए वीवीपीएटी पर पेपर स्लिप दिखाई देती है।
चुनाव आयोग ने बताया कि 1628 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 21 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में वर्ष 2013 से अब तक आयोग द्वारा VVPAT का उपयोग किया जा रहा है। इस अवधि के दौरान केवल 1 बार एक मतदाता ने यह आरोप लगाया है कि उसका वोट उसके द्वारा चयनित उम्मीदवार के पास नहीं गया।
न्यायालय के इस सुझाव पर कि आयोग को सुधारों को स्वीकार करने के लिए खुला होना चाहिए, चुनाव आयोग ने कहा कि यह हमेशा किसी भी सुधार को लाने के लिए खुला है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का कारण बनेगा। जहां तक ये सभी मामले हैं जिन्हें आयोग ने स्वयं लागू किया है और उचित अध्ययन और परीक्षण के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वर्तमान में अपनाई गई विधि सबसे अधिक उपयुक्त है।
यह उल्लेख करना प्रासंगिक है कि बढ़े हुए VVPAT स्लिप काउंटिंग के लिए क्षेत्र में चुनाव अधिकारियों के व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता होगी और इस तरह के अधिकारियों को क्षेत्र में तैनाती के लिए पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता होगी। यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में, 400 से अधिक मतदान केंद्र हैं, जिनमें वीवीपीएटी स्लिप गणना को पूरा करने के लिए लगभग 8-9 दिनों की आवश्यकता होगी।
आगे जब चुनाव आसन्न हैं और मतदान 11 अप्रैल, 2019 से शुरू होना है, तो अब इस चरण में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई व्यवस्था को बदलना संभव नहीं है और इसे भविष्य के चुनावों के लिए ही माना जा सकता है। वर्तमान प्रणाली को सभी पहलुओं पर विस्तृत अध्ययन और विचार के बाद अपनाया गया है और सभी सुरक्षा उपायों और जांच को ध्यान में रखते हुए आवश्यक भी समझा गया है।
यह प्रस्तुत किया गया है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और सच्चे और निष्पक्ष चुनाव के लिए विशेषज्ञों के माध्यम से पर्याप्त अध्ययन करने के बाद वर्तमान पद्धति को अपनाया गया है। पीठ अब इस मामले की सुनवाई 1 अप्रैल को करेगी।