सुब्रत रॉय की मुश्किल बढ़ीं : सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को तलब किया, कहा रकम नहीं देते तो कानून अपना काम करेगा
Rashid MA
31 Jan 2019 11:03 PM IST
निवेशकों के रुपये ना लौटाने के मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने, आदेश के मुताबिक 25700 करोड़ रुपये जमा ना कराने की स्थिति में 28 फरवरी को सहारा प्रमुख व दो निदेशकों को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।
गुरुवार को हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस एस. के. कौल की पीठ ने सहारा को जमकर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2012 के आदेश के मुताबिक, सहारा को सेबी के खाते में 25700 करोड़ रुपये जमा करने थे, लेकिन उन्होंने केवल 15000 करोड़ का मूलधन ही जमा किया है। अगर रॉय ये पैसा नहीं चुकाते हैं तो कानून अपना काम करेगा। इसलिए उन्हें 28 फरवरी को अदालत में उपस्थित होना होगा।
वहीं जस्टिस सीकरी ने कहा कि आपने 2 साल पहले भुगतान का रोडमैप दिया था। और हम अभी भी अटके हुए हैं। यदि आप भुगतान नहीं करना चाहते तो जमा न करें।
इस दौरान सेबी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कोर्ट को बताया कि सहारा ने 15000 करोड़ रुपये के मूलधन के अलावा केवल 4800 करोड़ रुपये ही ब्याज के तौर पर जमा कराया है। हालांकि सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि सहारा द्वारा अभी तक 22000 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।
लगभग 2 साल जेल में बिताने वाले रॉय 6 मई 2017 से पैरोल पर बाहर हैं। उन्हें पहली बार अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अनुमति दी गई थी और इसके बाद इस अवधि को बढ़ाया गया।
रॉय के अलावा, दो अन्य निदेशकों रवि शंकर दुबे और अशोक रॉय चौधरी को सहारा समूह की 2 कंपनियों - सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प लिमिटेड (SHICL) की विफलता के लिए गिरफ्तार किया गया था।
17 अप्रैल 2018 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहारा समूह को महाराष्ट्र में एंबी वैली शहर परियोजना में अपनी संपत्तियों का कोई भी हिस्सा चुनकर बेचने और 15 मई तक सेबी-सहारा रिफंड खाते में रकम जमा करने की अनुमति दी गई थी।
अदालत, सुब्रत रॉय और सहारा समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील विकास सिंह द्वारा दी गई दलीलों से सहमत हुई थी कि उन्हें नीलामी की बजाए खुद संपत्तियों को बेचने की इजाजत दी जाए क्योंकि नीलामी से उचित रकम नहीं मिल पाएगी। बेंच ने समूह से कहा था कि 15 मई तक एंबी वैली के एक पार्सल से संपत्ति बेचकर 750 करोड़ रुपये जमा करें।