सुप्रीम कोर्ट ने 2002 दंगों में गैंगरेप पीड़िता को 50 लाख का मुआवजा और आवास देने के निर्देश दिए
Live Law Hindi
23 April 2019 11:05 AM GMT
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए गैंगरेप केस में एक बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को पीड़िता को 50 लाख रुपये मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।
इस दौरान CJI ने गुजरात सरकार की वकील हेमंतिका वाही से कहा, "आप खुद को भाग्यशाली समझिए कि हम अपने आदेश में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे हैं।"
गौरतलब है कि अक्तूबर 2017 में पीठ ने गुजरात सरकार से पूछा था कि मामले को दबाने के दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई या अन्य कार्रवाई की गई है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि दोषी करार दिए जाने के बाद वो (संबंधित अधिकारी) सेवा में कैसे रह सकते हैं? इसके साथ ही पीड़िता को गैंगरेप केस में बढ़ा मुआवजा दिलाने की अलग याचिका दाखिल करने की इजाजत दे दी थी।
दरअसल गोधरा कांड के बाद हुई इस वारदात की पीड़िता ने बढ़ा हुआ मुआवजा और केस को दबाने के दोषी करार दिए गए 5 पुलिसकर्मियों व 2 डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की अर्जी दाखिल की थी। इस दौरान पीड़िता की ओर से पेश वकील शोभा ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में जांच को प्रभावित करने के लिए 5 पुलिसकर्मियों व 2 डॉक्टरों को हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया था लेकिन ट्रायल के दौरान जेल में काटे वक्त को ही उनकी सजा मान लिया गया था। अब इन लोगों को फिर से सेवा में रख लिया गया है।
वहीं गुजरात सरकार की ओर से पेश हेमंतिका वाही ने कोर्ट को बताया था कि उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरु की गई है।
गौरतलब है कि 4 मई 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में 12 लोगों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी और ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए 5 पुलिसकर्मियों व 2 डॉक्टरों को दोषी करार दे दिया था। लेकिन ट्रायल के दौरान उनके द्वारा काटी सजा को पर्याप्त माना था। उन्हे ड्यूटी ना निभाने और IPC की धारा 201 के तहत सबूत मिटाने का दोषी करार दिया गया।